30 गांवों के टापू बनने पर उच्च न्यायालय ने शासन से जवाब तलब किया

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने बस्तर क्षेत्र के आदिवासियों की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए बीजापुर कलेक्टर को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। छत्तीसगढ़ के एक न्यूज चैनल में प्रसारित खबर को आधार बनाते हुए उच्च न्यायालय ने इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया है। मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन, लोक निर्माण विभाग के सचिव, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के सचिव, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव, और कलेक्टर बीजापुर को इस मामले में पक्षकार बनाते हुए उत्तर देने का आदेश दिया है।

ग्रामीणों की दुर्दशा

न्यूज चैनल ने बस्तर के बीजापुर जिले के गांवों की स्थिति को उजागर किया था, जिसमें बारिश के कारण बीजापुर जिले के 30 गांवों के टापू बन जाने की बात कही गई थी। बरसात के दिनों में यहां की स्थिति अत्यंत गंभीर हो जाती है। ग्रामीणों को पीडीएस की दुकान से राशन लेने के लिए उफनती नदी पार करनी पड़ती है। रिपोर्ट के अनुसार, बीते 77 वर्षों से इन गांवों की यही स्थिति बनी हुई है। बीजापुर जिले के भोपालपट्टनम ब्लॉक में चिंतावागु नदी पर पुल न होने के कारण लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

सरकारी व्यवस्था पर सवाल

भारी बारिश के कारण बीजापुर जिले की सभी नदियाँ और पुल उफान पर हैं, जिसके कारण अनेक गांव टापू में तब्दील हो गए हैं और अन्य हिस्सों से संपर्क कट गया है। इन गांवों के लोग अपने दैनिक जीवन में गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। पीडीएस के माध्यम से आपूर्ति किए जाने वाले मुफ्त राशन को इकट्ठा करने में भी असमर्थ हैं। चिंतावागु नदी पर पुल न होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। मिनूर गांव के लोग 8 किलोमीटर तक पैदल चलकर पीडीएस दुकान खोलने का अनुरोध कर चुके हैं, लेकिन सरकारी अधिकारियों द्वारा इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। पिछले 77 वर्षों से ग्रामीण इस समस्या से जूझ रहे हैं और पिछले 15 वर्षों से चिंतावागु नदी पर पुल बनाने की मांग कर रहे हैं।

शासन का पक्ष

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने कोर्ट में बताया कि गांव की स्थिति को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। बस्तर क्षेत्र में बरसात के मौसम के दौरान कुछ हिस्सों में इस तरह की समस्याएं आती हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए पीडीएस दुकानों में चार माह का राशन एक साथ प्रदान किया जाता है, ताकि राशन वितरण में कोई बाधा न आए। उन्होंने बताया कि शासन के नियमों के अनुसार, जहां न्यूनतम 500 लोग निवास करते हैं, वहां पीडीएस की दुकानें खोली जाती हैं। वर्तमान में जिस गांव की बात हो रही है, वहां लाभार्थियों की संख्या इतनी नहीं है। महाधिवक्ता ने बताया कि अब नदी का जल स्तर नीचे चला गया है और स्थिति में सुधार हो रहा है। इसलिए पीडीएस दुकानों के माध्यम से खाद्यान्न वितरण में कोई परेशानी नहीं होगी। राज्य सरकार इस दिशा में ठोस और गंभीर प्रयास कर रही है।

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here