छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सऊदी अरब में रहने वाले छात्रों द्वारा दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें विदेशों में रह रहे भारतीय मूल के छात्रों के लिए डासा योजना के तहत 75% अंकों की अनिवार्यता को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने इसे सरकार का नीतिगत निर्णय बताया और कहा कि छात्रों को इसमें छूट देने का कोई अधिकार नहीं है।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में विदेशी नागरिकों, भारतीय मूल के विदेशों में रहने वाले छात्रों, अनिवासी भारतीयों (NRI) और प्रवासी भारतीयों (PIO) के लिए डायरैक्ट एडमिशन ऑफ स्टूडेंट्स अब्रॉड (DASA) योजना के तहत दाखिले में 60% की जगह 75% अंकों की अनिवार्यता को चुनौती दी गई थी।
याचिकाकर्ताओं, जिनमें सऊदी अरब में रहने वाले श्रियांस कुमार, शेख मुनीर, सुहास काम्मा, रंजीत, आफिया अनीस और राघव सक्सेना शामिल थे, ने दलील दी थी कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बिना किसी ठोस कारण के शैक्षणिक पात्रता में बदलाव किया है। उन्होंने इसे मनमाना और अनुचित बताया, और हाई कोर्ट से इस अधिसूचना को रद्द करने की मांग की।
इसके जवाब में, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) रायपुर की ओर से बताया गया कि 75% अंकों का मानदंड विशेषज्ञों की कोर कमेटी द्वारा व्यापक विचार-विमर्श के बाद निर्धारित किया गया था। कोविड-19 महामारी के कारण पिछले कुछ वर्षों में छूट दी गई थी, लेकिन अब यह छूट हटा दी गई है।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने सुनवाई के बाद याचिका को खारिज करते हुए कहा कि प्रवेश के लिए अंकों में छूट देना सरकार का नीतिगत निर्णय है, और इस पर याचिकाकर्ताओं का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि यह सरकार का न्यायोचित और उचित निर्णय है, जिसे चुनौती नहीं दी जा सकती।