बिलासपुर। सारधा, लोरमी के किसान तोपसिंह राठौर को समर्थन मूल्य पर बेचे गए धान का भुगतान पाने के लिए पूरे 10 साल समिति के चक्कर काटने पड़े। किसान को धान बेचने के बाद वर्ष 2014 से ही अपने पैसे का इंतजार था। निराशा हाथ लगने पर तोपसिंह ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अवमानना याचिका दायर की। अंततः, सेवा सहकारी समिति लोरमी ने कोर्ट के आदेश पर किसान को 3 लाख 45 हजार 500 रुपये का चेक जारी किया।
कोर्ट ने दी किसान को राहत
हाई कोर्ट ने किसान के पक्ष में फैसला सुनाते हुए निर्देश दिया कि, अगर चेक से भुगतान में कोई समस्या आती है या चेक बाउंस होता है, तो किसान को पुनः याचिका दायर करने की छूट रहेगी।
कई वर्षों से हो रहा था भुगतान में विलंब
2014 में तोपसिंह राठौर ने 525 बोरा धान सेवा सहकारी समिति लोरमी में बेचा था, लेकिन उन्हें लंबे समय तक भुगतान नहीं मिला। 2 अगस्त 2019 को उप पंजीयक सहकारी समिति मुंगेली ने लोरमी समिति को जांच कर भुगतान करने के निर्देश दिए थे, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। अंततः, किसान ने अधिवक्ता शाल्विक तिवारी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की।
अवमानना याचिका लगानी पड़ी
जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की सिंगल बेंच ने समिति को आदेश दिया कि 15 दिनों के भीतर 2014 के समर्थन मूल्य के अनुसार किसान को बोनस सहित भुगतान किया जाए। फिर भी, जब भुगतान नहीं हुआ, तो किसान ने अवमानना याचिका दायर की। इस पर, जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच ने सुनवाई की और समिति ने बताया कि 3 लाख 45 हजार 500 रुपये का चेक जारी कर दिया गया है।
कोर्ट ने किसान को भरोसा दिलाया कि अगर चेक से किसी प्रकार की दिक्कत होती है, तो किसान दोबारा न्यायालय में जा सकता है।