बिलासपुर। कोविड टीकाकरण में आरक्षण लागू किए जाने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि बीमारी अमीरी – गरीबी देख कर नहीं आती इसलिए वैक्सीन लगाने की अलग दृष्टि से नीति नहीं बनाई जा सकती। कोर्ट ने दो दिन के भीतर सरकार को स्पष्ट नीति बनाने तथा जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
ज्ञात हो कि 18 प्लस लोगों को कोविड टीकाकरण राज्य में 1 मई से शुरू किया गया है, जिसमें फिलहाल अंत्योदय राशन कार्ड धारकों को टीका लगाया जा रहा है। सरकार की इस नीति के विरुद्ध छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जे के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने जनहित याचिका दायर की है। इसी को लेकर पांच हस्तक्षेप याचिकाएं भी दायर की गई है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता पलाश तिवारी, राकेश पांडे, अरविंद दुबे, सिद्धार्थ पांडे और अनुमय श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भी टीकाकरण के लिए कुछ प्राथमिकताएं तय की गई है लेकिन उनमें इस तरह के आरक्षण की व्यवस्था नहीं है। राज्य शासन प्रदेश के नागरिकों के साथ भेदभाव कर रही है। अंत्योदय वर्ग को प्राथमिकता देने का क्या आधार है यह अतिरिक्त मुख्य सचिव के आदेश में स्पष्ट नहीं है।
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने बताया कि वैक्सीन कम संख्या में आई है। गरीब वर्ग में टीकाकरण को लेकर जागरूकता नहीं है उनके पास मोबाइल और इंटरनेट भी नहीं है। वे बाहर निकलते समय संक्रमण से बचाव के उपायों पर भी ध्यान नहीं दे पाते हैं। इसलिए सरकार ने अति गरीब और को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया।
हाईकोर्ट ने कहा कि वैक्सीनेशन को लेकर केंद्र सरकार की नीति से अलग हटकर राज्य सरकार इस तरह का निर्णय नहीं ले सकती है। ऐसा कोई प्रस्ताव आता भी है तो उसका विचार कैबिनेट में किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा है कि टीकाकरण में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए क्योंकि बीमारी सभी को हो रही है, इसलिए वैक्सीन भी सभी को मिलनी चाहिए। शासन को जवाब देने के लिए 2 दिन का समय दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई अब शुक्रवार को होगी।

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