मामला कई याचिकाओं से जुड़ा
बिलासपुर, 12 नवंबर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सूचना आयुक्त और मुख्य सूचना आयुक्त के पदों के लिए नियुक्ति प्रक्रिया को सही ठहराया है। अदालत ने कई याचिकाओं, जिसमें डब्ल्यूपीएस नंबर 3775/2025, 3844/2025, 3845/2025, 3811/2025 और 3815/2025 शामिल हैं, को एक साथ सुनवाई के बाद खारिज कर दिया। इन याचिकाओं में उम्मीदवारों ने नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव और शॉर्टलिस्टिंग के तरीके पर आपत्ति जताई थी।
याचिकाकर्ताओं का दावा
याचिकाकर्ताओं, जिनमें अनिल तिवारी, राजेंद्र कुमार पाध्ये और डॉ. दिनेश्वर प्रसाद सोनी शामिल हैं, ने दावा किया कि सर्च कमेटी ने मध्य में नियम बदलकर 25 साल के अनुभव की शर्त जोड़ी, जो गलत है। उन्होंने कहा कि इससे उनकी उम्मीदवारी पर असर पड़ा और मूल विज्ञापन के मुताबिक उनका मूल्यांकन नहीं हुआ।
राज्य का पक्ष
दूसरी ओर, राज्य सरकार के वकील ने कहा कि सर्च कमेटी ने 25 साल के अनुभव को आधार बनाकर शॉर्टलिस्टिंग की, जो सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुरूप है। उन्होंने बताया कि 231 आवेदनों में से 163 सूचना आयुक्त के पद के लिए थे और इस आधार पर 33 उम्मीदवारों का चयन साक्षात्कार के लिए हुआ।
कोर्ट का फैसला
न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार व्यास की बेंच ने कहा कि सर्च कमेटी का शॉर्टलिस्टिंग का तरीका तर्कसंगत और निष्पक्ष है। कोर्ट ने माना कि साक्षात्कार के लिए सभी उम्मीदवारों को बुलाना संभव नहीं था, इसलिए अनुभव की शर्त रखना उचित था। साथ ही, interim order को भी हटा दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों, जैसे तेज प्रकाश पाठक बनाम राजस्थान हाईकोर्ट और अंजलि भारद्वाज बनाम भारत संघ, का हवाला देते हुए कहा कि शॉर्टलिस्टिंग प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं है।
अगला कदम
इस फैसले के बाद अब नियुक्ति प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। राज्य सरकार को 14 जून 2025 तक इस प्रक्रिया को पूरा करना होगा, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया है।













