रायपुर/ नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के कथित 2100 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को कठघरे में खड़ा किया है। सोमवार को अरविंद सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ED के उन दावों को “बिना सबूत के लगाया गया आधारहीन आरोप” करार दिया, जिसमें सिंह पर 40 करोड़ रुपये कमाने का इल्ज़ाम लगाया गया था।

जस्टिस अभय एस. ओका और उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा, “ED कई मामलों में यही रवैया अपना रही है। बिना सबूत के आरोप लगाए जा रहे हैं। इस तरह की कार्रवाई कोर्ट में टिक नहीं सकती।”

40 करोड़ की कमाई के सबूत ?

यह मामला छत्तीसगढ़ में 2019-2022 के बीच कथित तौर पर 2100 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़ा है। ED का दावा है कि इस घोटाले में उच्च-स्तरीय सरकारी अधिकारियों, निजी व्यक्तियों और राजनीतिक हस्तियों का एक संगठित गिरोह शामिल था। इस गिरोह ने शराब व्यापार में अनियमितताओं और टैक्स चोरी के जरिए भारी रकम हासिल की।

सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने दावा किया कि अरविंद सिंह ने एक अन्य व्यक्ति, विकास अग्रवाल के साथ मिलकर 40 करोड़ रुपये कमाए। लेकिन जब कोर्ट ने पूछा कि क्या अग्रवाल को आरोपी बनाया गया है, तो राजू ने जवाब दिया कि वह फरार है। इस पर कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “आपने 40 करोड़ रुपये कमाने का स्पष्ट आरोप लगाया, लेकिन अब आप यह साबित नहीं कर पा रहे कि सिंह का किसी कंपनी से क्या संबंध है।”

“आपको यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह उन कंपनियों का डायरेक्टर है, क्या वह बहुसंख्यक शेयरधारक है, या क्या वह प्रबंध निदेशक है।” – सुप्रीम कोर्ट

ED की कार्यशैली पर सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ED की कार्यशैली पर सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि ED बिना पुख्ता सबूत के बड़े-बड़े दावे करती है, जो बाद में कोर्ट में टिक नहीं पाते। यह पहली बार नहीं है जब ED को सुप्रीम कोर्ट की फटकार झेलनी पड़ी है। इससे पहले अप्रैल 2023 में कोर्ट ने ED को “डर का माहौल” न बनाने की हिदायत दी थी, जब तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार ने आरोप लगाया था कि ED मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को फंसाने की कोशिश कर रही है।

जांच और जमानत का मुद्दा

कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि इस मामले में तीन चार्जशीट दाखिल हो चुकी हैं, फिर भी जांच पूरी नहीं हुई है। 28 अप्रैल को कोर्ट ने ED को फटकार लगाते हुए कहा था कि वह बिना ठोस आधार के आरोपियों को जेल में नहीं रख सकती। कोर्ट ने कहा, “जांच अपनी गति से चलेगी, लेकिन यह अनंत काल तक नहीं चल सकती। आप प्रक्रिया को सजा बना रहे हैं।” 9 मई को अरविंद सिंह और अन्य आरोपियों की जमानत याचिका पर आगे की सुनवाई होगी।

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