बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सिविल जज (जूनियर डिवीजन) परीक्षा-2024 के लिए आवेदन की अंतिम तारीख एक महीने बढ़ाने का आदेश दिया है। साथ ही, कोर्ट ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) को यह निर्देश दिया है कि ऐसे उम्मीदवार जो अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत नहीं हैं, उन्हें भी आवेदन करने की अनुमति दी जाए। हालांकि, ऐसे अभ्यर्थियों की भर्ती प्रक्रिया याचिका के अंतिम फैसले तक लंबित रखी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई लंबित
बुधवार को हुई सुनवाई में हाई कोर्ट को बताया गया कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में भी विशेष अनुमति याचिका (SLP) दाखिल की गई है, जिसकी सुनवाई 18 मार्च को होगी। इस पर विचार करते हुए हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई 7 अप्रैल को निर्धारित की है।
अधिवक्ता पंजीयन की अनिवार्यता को चुनौती
मूल रूप से जबलपुर की विनीता यादव ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सिविल जज परीक्षा में अधिवक्ता पंजीयन की अनिवार्यता को चुनौती दी है। उन्होंने बताया कि उन्होंने रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी, जबलपुर से विधि स्नातक किया है और वर्तमान में सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं। सरकारी सेवा में होने के कारण वह बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के तहत अधिवक्ता के रूप में पंजीयन नहीं करा सकतीं। याचिका में छत्तीसगढ़ सरकार की 5 जुलाई 2024 की अधिसूचना को भी चुनौती दी गई है।
कई राज्यों में पंजीकरण अनिवार्य नहीं
याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात और दिल्ली जैसे राज्यों में सिविल जज परीक्षा के लिए अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण अनिवार्य नहीं है। खासकर मध्य प्रदेश में यह वैकल्पिक रखा गया है। ऐसे में छत्तीसगढ़ में इसे अनिवार्य बनाए जाने का कोई ठोस आधार नहीं है।
अब हाई कोर्ट के इस फैसले से उन उम्मीदवारों को राहत मिली है जो अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत नहीं हैं, लेकिन सिविल जज परीक्षा में शामिल होना चाहते हैं। अगली सुनवाई के बाद इस मामले में और स्पष्टता आने की उम्मीद है।