बिलासपुर।बिलासपुर में गहराते जल संकट ने प्रशासन और नागरिकों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। बदलते बारिश के पैटर्न के कारण वर्षा का पानी नदियों और नालों के रास्ते बहकर बेकार चला जा रहा है, जिससे भूजल स्तर लगातार गिर रहा है। कलेक्टर संजय अग्रवाल ने पत्रकारों से बातचीत में इस समस्या पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि जल संरक्षण के लिए अब एक बड़े जन आंदोलन की जरूरत है। इसके साथ ही, उन्होंने शहर के विकास, कोयला परिवहन और मवेशी प्रबंधन जैसे मुद्दों पर भी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।
जल संरक्षण: सामूहिक प्रयास की जरूरत
कलेक्टर ने कहा कि बारिश का पानी अब पहले की तरह धीरे-धीरे जमीन में नहीं समा रहा। तेज बारिश के कारण पानी बहकर नदियों में चला जाता है, जिससे भूजल स्तर को रिचार्ज करने का मौका नहीं मिलता। उन्होंने कहा, “यह समस्या केवल प्रशासन के बूते हल नहीं हो सकती। हर नागरिक को इसमें अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।” उन्होंने राजनांदगांव में अपने कार्यकाल का जिक्र करते हुए बताया कि वहां चार में से तीन ब्लॉक भूजल के मामले में ‘क्रिटिकल जोन’ में थे। इसका कारण अंधाधुंध भूजल दोहन, तालाबों की कमी, औद्योगिक उपयोग और रबी फसलों में पानी की अधिक खपत है।
जल संरक्षण के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग को प्रभावी बनाने पर जोर देते हुए कलेक्टर ने कहा कि सभी सरकारी भवनों में यह सिस्टम अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा। जहां यह नहीं है, वहां इसकी स्थापना के लिए संबंधित विभागों को निर्देश दिए जाएंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केवल रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर्याप्त नहीं है। बारिश के पानी को तेजी से जमीन में पहुंचाने के लिए नए तरीकों पर काम करना होगा।
नए क्षेत्रों में होगा शहर का विकास
बिलासपुर के पुराने इलाकों में अब विकास कार्यों के लिए जगह की कमी हो गई है। कलेक्टर ने बताया कि 2007 के बाद शहर का दायरा बढ़ा है, इसलिए अब नए क्षेत्रों में ही अधिकांश विकास परियोजनाएं लागू की जाएंगी। उन्होंने सुशासन तिहार के तहत चल रही योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना को पूरी पारदर्शिता के साथ लागू किया जा रहा है। अब तक 2,000 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं, और प्रतीक्षा सूची नगर निगम व पंचायत कार्यालयों में उपलब्ध है। केवल सूची में शामिल लोगों को ही योजना का लाभ मिलेगा।
पेड़ लगाने के साथ देखभाल जरूरी
कलेक्टर ने पर्यावरण संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि केवल पेड़ लगाना काफी नहीं है, उनकी देखभाल और संरक्षण भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्थानीय लोगों से अपील की कि वे अपने आसपास पेड़ लगाएं और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें। इसके लिए एक व्यापक संरक्षण योजना तैयार की जाएगी।
कोयला परिवहन और प्रदूषण पर निर्देश
कोयला परिवहन से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए कलेक्टर ने सख्त रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए कोयले का परिवहन केवल ढके हुए वाहनों से किया जाएगा। इससे धूल और प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। इसके लिए संबंधित अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए जाएंगे।
सड़कों पर मवेशियों की समस्या
शहर में सड़कों पर आवारा मवेशियों की समस्या को लेकर कलेक्टर ने गंभीरता दिखाई। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर ठोस कार्ययोजना बनाई जाएगी और संबंधित विभागों को नियमित निगरानी के लिए निर्देशित किया जाएगा।
एकजुटता से ही संभव है बदलाव
कलेक्टर संजय अग्रवाल ने जल संकट, विकास और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर व्यापक चर्चा करते हुए स्पष्ट किया कि इन समस्याओं का समाधान केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है। इसके लिए नागरिकों, प्रशासन और सभी हितधारकों को मिलकर काम करना होगा। खासकर जल संकट से निपटने के लिए एक बड़े जन आंदोलन की जरूरत है, जिसमें हर व्यक्ति की भागीदारी जरूरी है।