नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने शुक्रवार शाम घोषणा की कि मंगलवार और गुरुवार के बीच होने वाली संयुक्त सीएसआईआर-यूजीसी-नेट परीक्षा को पेपर लीक विवाद के चलते स्थगित कर दिया गया है। परीक्षण एजेंसी ने एक परिपत्र में कहा कि परीक्षा को “अपरिहार्य परिस्थितियों के साथ-साथ लॉजिस्टिक मुद्दों” के कारण स्थगित कर दिया गया है। 
इस परीक्षा के आयोजन का संशोधित कार्यक्रम बाद में आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से घोषित किया जाएगा।
संयुक्त सीएसआईआर यूजीसी नेट भारतीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) और लेक्चररशिप (एलएस) और सहायक प्रोफेसर पदों के लिए आयोजित किया जाता है, बशर्ते विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा किया गया हो।
शिक्षा मंत्रालय ने यूजीसी-नेट परीक्षा को इसके आयोजन के एक दिन बाद ही बुधवार को रद्द कर दिया, यह कहते हुए कि “परीक्षा की अखंडता से समझौता हो सकता है”।
शिक्षा मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा, “19 जून, 2024 को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) की राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विश्लेषण इकाई से परीक्षा के संबंध में कुछ इनपुट प्राप्त हुए। इन इनपुट से प्रथम दृष्टया संकेत मिलता है कि उक्त परीक्षा की सत्यनिष्ठा से समझौता किया गया है।”
यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द करने के निर्णय से छात्र समुदाय में व्यापक असंतोष फैल गया है तथा कई छात्रों ने एनटीए द्वारा आयोजित परीक्षाओं में अनियमितताओं का आरोप लगाया।
नीट में अनियमितताओं और यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द करने को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि एक उच्च स्तरीय समिति गठित की जाएगी।
प्रधान ने कहा कि जब यूजीसी चेयरमैन को गृह मंत्रालय की साइबर क्राइम टीम से डार्कनेट पर प्रश्नों के होने की जानकारी मिली, तो मूल पेपर से मिलान किया गया और तुरंत सीबीआई जांच कराने का फैसला लिया गया। यह भी तय हो गया कि परीक्षा की सत्यनिष्ठा से समझौता किया गया है, इसलिए परीक्षा रद्द करने का फैसला किया गया।

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