पूर्व सीएम रमन ने कहा कि क्या भ्रष्टाचार की सेंध लग गई?
सूची में पीएससी चेयरमेन के दत्तक पुत्र का सरनेम ही छिपा दिया गया
रायपुर। सीजीपीएससी के नतीजे की टॉपर लिस्ट में केवल बड़े अधिकारियों, कांग्रेस नेताओं और बड़े कारोबारियों के बेटे बेटियों और दामाद का चयन होने का मुद्दा सुलगने लगा है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने सवाल किया है क्या सब कुछ निष्पक्ष ढंग से हुआ है? क्या सीजीपीएससी में भी भ्रष्टाचार की सेंध लग चुकी है? क्या गरीब या मध्यमवर्ग युवाओं के साथ कोई छल नहीं हुआ है?
ज्ञात हो कि 11 मई की रात को सीजीपीएससी 2021 के परिणाम जारी किए गए हैं। इसके इंटरव्यू पिछले साल सितंबर महीने में हो चुके थे। पर आरक्षण पर हाई कोर्ट के आदेश को देखते हुए जारी नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट से उस आदेश पर स्थगन मिलने के बाद यह सूची जारी की गई है, जो 12 मई की सुबह से ही सवालों से घिर गई है। यह परीक्षा 171 पदों के लिए हुई थी जिनमें से 170 पदों पर भर्ती की गई है। सूची के टॉप 20 में जितने लोगों का नाम है, वे बड़े अधिकारियों, बिजनेसमैन या फिर कांग्रेसी नेताओं के रिश्तेदार हैं। पहले क्रम पर प्रज्ञा नायक है जिनके पिता तो शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं लेकिन इनके चाचा प्रकाश नायक पुलिस विभाग में एसपी रैंक के अधिकारी और राजनांदगांव में पदस्थ हैं। प्रज्ञा के भाई प्रखर नायक को भी टॉप टेन में जगह मिली है। दूसरे अंबर पर अनन्या अग्रवाल का नाम है जिसे एक बड़े कारोबारी परिवार का सदस्य होना बताया जा रहा है। इसके बाद शशांक गोयल और भूमिका कटिहार का नाम है। ये दोनों पति-पत्नी हैं जो कांग्रेस नेता सुधीर कटियार की बेटी और दामाद हैं। सातवें रैंक पर नितेश का नाम है। सूची में इनका सरनेम उजागर नहीं किया गया है। इसे पीएससी के चेयरमैन टोमन सोनवानी का दत्तक पुत्र बताया गया है। वहीं राज्यपाल के सचिव अमृत खलखो की बेटी नेहा और बेटे निखिल दोनों ने एक साथ टॉप 20 में जगह बनाई है। ये नौवें और 12 नंबर पर हैं। 11वें नंबर पर साक्षी ध्रुव का नाम है जो आईपीएस के एल ध्रुव की बेटी है। ध्रुव अभी बस्तर में आईजी रैंक के अधिकारी हैं। 16वें नंबर पर स्वर्णिम शुक्ला का नाम है। ये बिलासपुर कृषि उपज मंडी के अध्यक्ष, कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला के बेटे हैं। सवाल इसी सूची को लेकर है कि आखिर टॉप में सिर्फ बड़े अधिकारियों नेताओं और कारोबारियों के बच्चों के नाम क्यों हैं। क्या गरीब मध्यम वर्ग का कोई भी प्रतियोगी प्रतिभाशाली नहीं पाया गया।
सोशल मीडिया और अखबारों में मामला उछलने पर भाजपा नेताओं और युवाओं ने इस सूची को लेकर कई सवाल किए हैं। यह सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। इसे लेकर ट्विटर पर भी लगातार प्रतिक्रिया आ रही है। युवा इसमें लिख रहे हैं जिसके पास पैसा है उनके लिए ही यूपीएससी और सीजीपीएससी है, गरीब आदमी का कुछ नहीं हो सकता। राज्य में कोई भी सरकार हो, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगे युवाओं के साथ छल होता दिखता है। या तो परीक्षा नहीं होती, होती है तो रिजल्ट नहीं आता, रिजल्ट आता है तो धांधली से परिपूर्ण होता है। धांधली रोकने के लिए कठोर नियम क्यों नहीं बनाए जाते हैं। हमारी सरकार इतनी रीढ़ विहीन क्यों है? कुछ युवाओं ने मांग की है सीजीपीएससी को परीक्षार्थियों का स्कोर कार्ड जारी करना चाहिए ताकि सबको पता चल सके कि कौन कितना नंबर ले पाया है। ऐसा लगता है कि गड़बड़ी करने के लिए स्कोर कार्ड जारी नहीं किया जाता।