रायपुर। छत्तीसगढ़ के एन.जी.ओ. और वन्यजीव प्रेमियों ने मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री को पत्र लिखकर हाथियों से प्रभावित फसलों के मुआवजे को रुपये 9 हजार प्रति एकड़ से बढ़ाकर रुपये 50 हजार करने की मांग की है। उनका मानना है कि इससे किसानों और ग्रामीणों की नाराजगी कम होगी और जनहानि भी घटेगी। पत्र में कहा गया है कि किसान हाथियों से फसल बचाने के लिए खेतों में सोने से बचेंगे, जिससे हाथी-मानव द्वंद में कमी आएगी।
वन्यजीव प्रेमियों ने बताया कि वर्तमान में 2016 की दरों पर फसल हानि का मुआवजा दिया जा रहा है, जबकि धान की सरकारी कीमत तब से 120 प्रतिशत बढ़ चुकी है। वर्तमान में, मुआवजा राशि रुपये 9 हजार प्रति एकड़ निर्धारित है, जबकि किसानों की वास्तविक लागत और फसल की कीमत के आधार पर यह राशि कम से कम रुपये 50 हजार प्रति एकड़ होनी चाहिए।
मुआवजा बढ़ाने से लाभ
पत्र में बताया गया है कि सरकार किसानों से 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदती है, जिससे उन्हें रुपये 65,100 की आय होती है। इसमें से रुपये 15 हजार की लागत निकालने पर किसान को शुद्ध लाभ रुपये 50 हजार प्रति एकड़ होता है। इसलिए, मुआवजे की राशि भी रुपये 50 हजार प्रति एकड़ की जानी चाहिए।
बजट पर मामूली असर, जनहानि में कमी
वर्तमान में, छत्तीसगढ़ में हाथियों से फसल हानि पर प्रति वर्ष करीब 15 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं। मुआवजा बढ़ाने पर सरकार को केवल 65 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा, जो राज्य के 1.25 लाख करोड़ रुपये के बजट का मात्र 0.05 प्रतिशत होगा। इससे न केवल किसानों की नाराजगी कम होगी, बल्कि हाथी-मानव द्वंद और जनहानि में भी कमी आएगी।
ऐप विकसित करने का सुझाव
पत्र में फसल हानि मुआवजे के लिए 33 प्रतिशत नुकसान की शर्त को हटाने और भुगतान प्रक्रिया को तेज करने के लिए एक ऐप विकसित करने की भी मांग की गई है।
पत्र लिखने वालों में एम. सूरज, प्रभात दुबे, मंसूर खान, गौरव निहलानी, कस्तूरी बल्लाल और नितिन सिंघवी शामिल हैं।