प्राण चड्ढा
छत्तीसगढ़ का गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व देश का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बनने जा रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे टाइगर रिजर्व के रूप में मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही राज्य में टाइगर रिजर्व की संख्या चार हो गई है।
हालांकि, वर्तमान में प्रदेश में टाइगर की संख्या केवल 20 के करीब ही है। इनमें कितने छत्तीसगढ़ के जंगलों में पैदा हुए हैं और कितने बाहर से आए हैं, इस पर कोई ठोस जानकारी नहीं है। अचानकमार टाइगर रिजर्व में दस टाइगर हैं, जबकि बाकी टाइगर प्रदेश के अन्य जंगलों में बिखरे हुए हैं।
राज्य गठन के 23 साल बाद भी छत्तीसगढ़ में टाइगर की संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है, लेकिन टाइगर रिजर्व की संख्या बढ़ती जा रही है। भोरमदेव अभयारण्य भी टाइगर रिजर्व बनने की कतार में है, जहां कान्हा के बाघों की आवाजाही होती है।
टाइगर रिजर्व का सबसे बड़ा फायदा यह है कि वन क्षेत्र की संपदा भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित हो जाती है। लेकिन जब टाइगर कम हो और खर्च ज्यादा हो, तो टाइगर रिजर्व केवल नक्शे में खींची लकीर बनकर रह जाता है। छत्तीसगढ़ सरकार को गंभीरता से सोचना चाहिए कि टाइगर की संख्या कैसे बढ़ाई जाए। इसके लिए टाइगर रिजर्व में काम करने वाले अफसरों को स्थिरता प्रदान करनी चाहिए, ताकि वे अपने काम को अच्छी तरह से समझ सकें और उसे लागू कर सकें।
समाधान और सुझाव
स्थिरता और विशेषज्ञता: टाइगर रिजर्व में नियुक्त अफसरों को बार-बार न बदला जाए। उन्हें जंगल का विशेषज्ञ बनाया जाए और उनकी कार्यक्षमता को बढ़ाया जाए।
आबादी और मवेशियों का दबाव: जब तक किसी टाइगर रिजर्व में आबादी और मवेशियों का दबाव रहेगा, तब तक टाइगर की संख्या बढ़ाना संभव नहीं होगा।
विस्थापन: टाइगर रिजर्व के आसपास के गांवों को विस्थापित करना एक आवश्यक कदम है। एटीआर की स्थापना 1975 में हुई थी, लेकिन अब तक 19 गांव वहीं जमे हुए हैं। जो लोग जाने के इच्छुक हैं, उन्हें पार्क एरिया से बाहर बसाया जाए।
छत्तीसगढ़ के जंगल कान्हा और बांधवगढ़ से किसी भी प्रकार से कम नहीं हैं। बस आवश्यकता है सही दिशा में काम करने की, ताकि टाइगर की संख्या बढ़ाई जा सके और टाइगर रिजर्व अपनी असली पहचान पा सके।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, व मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ वाइल्डलाइफ बोर्ड के पूर्व सदस्य हैं)

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उक्त आलेख का संदर्भः
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में बुधवार को मंत्रिपरिषद की बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। इस बैठक में गुरुघासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व गठित करने का प्रस्ताव पारित किया गया। मंत्रिपरिषद द्वारा राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक की अनुशंसा और भारत सरकार के वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण की सहमति के अनुसार मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, कोरिया, सूरजपुर एवं बलरामपुर जिलों में स्थित गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान तथा तमोर पिंगला अभ्यारण्य के क्षेत्रों को सम्मिलित करते हुए 2829.387 वर्ग कि.मी. क्षेत्रफल में गुरुघासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व अधिसूचित करने का निर्णय लिया गया है।
सरकार का मामना है कि इसके गठन से राज्य में ईको-पर्यटन का विकास होगा। साथ ही कोर एवं बफर क्षेत्र में स्थित ग्रामीणों के लिए गाईड, पर्यटक वाहन, रिसार्ट संचालन के साथ ही विभिन्न प्रकार के रोजगार सृजित होंगे। टाइगर रिजर्व में कार्य करने के लिए राष्ट्रीय प्रोजेक्ट टाइगर ऑथोरिटी से अतिरिक्त बजट प्राप्त होगा जिससे क्षेत्र के गांवों में आजीविका विकास के नए-नए कार्य किए जा सकेंगे।

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