Bilve Digital desk
नई दिल्ली। बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया शुरू की है, जिसका मकसद मतदाता सूची को शुद्ध करना और गैर-कानूनी मतदाताओं को हटाना है। यह प्रक्रिया 1 जुलाई 2025 से शुरू हुई, जिसमें घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी एकत्र की जा रही है। चुनाव आयोग के अनुसार, 80% से अधिक मतदाताओं ने अब तक नाम, पता, जन्मतिथि, आधार नंबर, और वोटर पहचान पत्र जैसे विवरण दर्ज कर फॉर्म जमा कर दिए हैं।
चुनाव आयोग ने 2003 की मतदाता सूची को आधार बनाया है, जिसमें उस समय के मतदाताओं को भारतीय नागरिक माना जा रहा है, जब तक कि इसके विपरीत सबूत न मिलें। इस प्रक्रिया में नेपाल, बांग्लादेश, और म्यांमार जैसे देशों के व्यक्तियों की मौजूदगी की खबरें भी सामने आई हैं, जिन्हें अंतिम मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जाएगा।
10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने SIR प्रक्रिया को संवैधानिक करार देते हुए इसे जारी रखने की अनुमति दी, लेकिन आधार, वोटर आईडी, और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को पहचान के लिए स्वीकार करने की सलाह दी। इस प्रक्रिया को बिहार के बाद पूरे देश में लागू करने की तैयारी है, जिसके लिए 1 जनवरी 2026 को कट-ऑफ तारीख तय की गई है।
अजीत अंजुम पर FIR में लगे आरोप
12 जुलाई 2025 को पत्रकार अजीत अंजुम ने बेगूसराय के बलिया प्रखंड में SIR फॉर्म भरने की प्रक्रिया में अनियमितताओं को उजागर करते हुए एक 40 मिनट की वीडियो रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में उन्होंने स्थानीय प्रशासन और बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए, जिसमें गलत डेटा दर्ज करने और पारदर्शिता की कमी जैसे मुद्दे शामिल थे। उनकी इस रिपोर्टिंग के बाद स्थानीय बीडीओ और एसडीएम ने कथित तौर पर वीडियो को रोकने की कोशिश की।
13 जुलाई को अंजुम को कुछ शुभचिंतकों ने एफआईआर की आशंका के बारे में बताया, और 14 जुलाई को बेगूसराय पुलिस ने उनके खिलाफ एक मुस्लिम बीएलओ की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की। इस एफआईआर में उन पर सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने और काम में बाधा डालने का आरोप लगाया गया है। हालांकि, अंजुम का कहना है कि उन्हें अभी तक एफआईआर की कॉपी नहीं मिली है, और उनकी वीडियो में ऐसा कुछ नहीं है जो इन आरोपों को सही ठहराए।
अंजुम ने इसे पत्रकारिता पर हमला करार दिया और कहा कि यह एफआईआर उनकी निष्पक्ष पत्रकारिता का “सर्टिफिकेट” है। उन्होंने चुनाव आयोग को चुनौती दी कि वह पहले उनकी रिपोर्ट को झूठा साबित करे। अंजुम ने यह भी कहा कि वह इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे और अपनी पत्रकारिता जारी रखेंगे।
विपक्षी दलों का विरोध और बिहार बंद
SIR प्रक्रिया को लेकर बिहार में विपक्षी दलों ने तीखा विरोध शुरू किया है। महागठबंधन, जिसमें राजद, कांग्रेस, और वाम दल शामिल हैं, ने इस प्रक्रिया को “चुपके से एनआरसी लागू करने” की साजिश करार दिया है। 9 जुलाई को विपक्ष ने बिहार बंद का आह्वान किया, जिसमें राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, और सीपीआई(एम) के नेता हन्नान मुल्ला ने हिस्सा लिया।
तेजस्वी यादव ने SIR को लेकर चुनाव आयोग और बीजेपी पर धार्मिक ध्रुवीकरण और दलितों-पिछड़ों को मतदाता सूची से हटाने की साजिश का आरोप लगाया। हन्नान मुल्ला ने दावा किया कि इस प्रक्रिया से 2 करोड़ से अधिक मतदाताओं को हटाने की साजिश है। पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव ने चुनाव आयोग को “धृतराष्ट्र” कहकर संविधान का सम्मान न करने का आरोप लगाया। विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की, जिसमें SIR को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई।
दैनिक भास्कर की लीड खबर
14 जुलाई 2025 के दैनिक भास्कर के प्रिंट एडिशन में बेगूसराय के बलिया प्रखंड में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर एक गहन रिपोर्ट प्रकाशित की गई। इस खबर में खुलासा हुआ कि बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) SIR फॉर्म भरने के नाम पर अवैध वसूली कर रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि कई जगहों पर बीएलओ घर-घर जाने के बजाय पेड़ों या सरकारी भवनों में बैठकर मतदाताओं से पैसे वसूल रहे हैं। एक वायरल वीडियो में बीएलओ को “चाय-पानी” के नाम पर पैसे लेते हुए सुना गया, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने विरोध किया और बीएलओ को पैसे लौटाने पड़े। दैनिक भास्कर की टीम ने राज्य भर में 100 से अधिक रिपोर्टरों के साथ जमीनी पड़ताल की, जिसमें नवादा और वैशाली जैसे इलाकों में भी अव्यवस्थाएं सामने आईं। इस मामले को पत्रकार अजीत अंजुम ने अपनी वीडियो रिपोर्ट में भी उठाया था, जिसके बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं
एक्स पर इस मामले को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कई यूजर्स ने अंजुम के समर्थन में लिखा और इसे पत्रकारिता पर हमला बताया। @Ankitydv92 ने अंजुम को निडर पत्रकार बताते हुए उनकी जमीनी रिपोर्टिंग की सराहना की। @ews_army ने नीतीश सरकार से इस एफआईआर को वापस लेने की मांग की। दूसरी ओर, कुछ यूजर्स ने अंजुम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए, खासकर 2024 में उनके खिलाफ POCSO अधिनियम के तहत दर्ज एक पुराने मामले का जिक्र करते हुए।
नागरिक संवाद समिति और अन्य पत्रकारीय संगठनों ने इस एफआईआर की निंदा की और इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया। अंजुम ने अपने समर्थकों से उनकी वीडियो देखकर खुद फैसला करने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट ले जाएंगे मामला- अंजुम
अजीत अंजुम ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने की बात कही है। उन्होंने प्रशासन और चुनाव आयोग से अपनी कमियों को ठीक करने की मांग की है। दूसरी ओर, विपक्ष ने SIR प्रक्रिया को लेकर अपना विरोध तेज कर दिया है, और 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली अगली सुनवाई पर सबकी नजरें टिकी हैं। यह मामला बिहार में पत्रकारिता, प्रशासन, और चुनावी प्रक्रिया के बीच तनाव का प्रतीक बन गया है।