रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र आज से शुरू हुआ, और पहले ही दिन सदन में जोरदार हंगामा देखने को मिला। खाद-बीज संकट, राजस्व निरीक्षक विभागीय भर्ती में अनियमितता, और शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में भर्ती गड़बड़ियों जैसे मुद्दों पर पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई। विपक्षी विधायकों ने सरकार को घेरने की पूरी कोशिश की, तो सत्तापक्ष ने भी जवाब में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस दौरान नारेबाजी, बहिर्गमन, और निलंबन जैसे नाटकीय घटनाक्रम भी सामने आए।

खाद-बीज संकट पर हंगामा

सत्र के पहले दिन शून्यकाल में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने खाद और बीज की कमी का मुद्दा जोर-शोर से उठाया। उन्होंने कहा कि पूरे छत्तीसगढ़ में किसान खाद के लिए परेशान हैं और बाजार में दोगुनी कीमत पर खाद खरीदने को मजबूर हैं। उन्होंने 23 कांग्रेस विधायकों के समर्थन से स्थगन प्रस्ताव लाकर इस मुद्दे पर तुरंत चर्चा की मांग की। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि किसानों को संकट में छोड़कर सरकार चुप्पी साधे बैठी है।

कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने जवाब में खाद की कमी से इनकार किया और दावा किया कि नेनो डीएपी की पर्याप्त आपूर्ति है, जिससे किसानों ने पांच लाख हेक्टेयर अतिरिक्त बोनी की है। उन्होंने स्थगन प्रस्ताव को खारिज करने की मांग की, जिसे विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने स्वीकार कर लिया। इस पर कांग्रेस विधायकों ने “किसान विरोधी सरकार” के नारे लगाते हुए स्पीकर की आसंदी के पास पहुंचकर हंगामा किया। हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही पांच मिनट के लिए स्थगित कर दी गई। कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर अध्यक्ष ने गर्भगृह में नारेबाजी करने वाले 23 कांग्रेस विधायकों को स्वतः निलंबित किया, हालांकि बाद में निलंबन वापस ले लिया गया। इसके बाद कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया।

राजस्व निरीक्षक भर्ती में गड़बड़ी का मुद्दा

प्रश्नकाल में भाजपा विधायक राजेश मूणत ने 2024 की राजस्व निरीक्षक भर्ती परीक्षा में अनियमितता का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि यह गड़बड़ी पिछली सरकार के समय शुरू हुई थी, जब विधानसभा चुनाव चल रहे थे। जवाब में राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने स्वीकार किया कि सितंबर 2023 में शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ियां पाई गईं। पांच सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट में अनियमितताएं सामने आईं, जिसके बाद मामला ईओडब्ल्यू को सौंपा गया है।

मंत्री ने आश्वासन दिया कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और अगले सत्र से पहले कार्रवाई होगी। हालांकि, कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव और संगीता सिन्हा ने आपत्ति जताई और कहा कि परीक्षा का समय भाजपा सरकार के कार्यकाल में था, न कि पिछली सरकार में। इस पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सीबीआई जांच की मांग की, जिसका भाजपा विधायकों ने तंज कसते हुए विरोध किया। हंगामे के बीच कांग्रेस विधायकों ने सदन से बहिर्गमन किया।

शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में भर्ती अनियमितता

भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय, बस्तर में भर्ती अनियमितताओं का मामला उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि भर्ती में यूजीसी नियमों और आरक्षण नीति का पालन नहीं किया गया। उन्होंने उदाहरण दिया कि 42 से 54 साल की उम्र के लोगों को मनमाने तरीके से नौकरी दी गई।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जवाब में बताया कि विश्वविद्यालय में 59 शैक्षणिक पदों के लिए विज्ञापन जारी हुआ था, जिनमें से 8 विभागों में नियुक्तियां हो चुकी हैं। अनियमितताओं की शिकायत पर अतिरिक्त संचालक डॉ. एसपी खैरवार की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई है, और उसकी रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी।

पुराने विधानसभा भवन का आखिरी सत्र

पांच दिन के इस मानसून सत्र में 996 सवालों के साथ कई अहम मुद्दों पर चर्चा की उम्मीद है। खाद-बीज, बिजली दरों में वृद्धि, शराब घोटाला, और कानून-व्यवस्था जैसे विषयों पर विपक्ष सरकार को घेरने की रणनीति बना चुका है। सत्तापक्ष भी अपनी डेढ़ साल की उपलब्धियों को सामने रखने के लिए तैयार है। यह सत्र न केवल पुराने विधानसभा भवन का आखिरी सत्र है, बल्कि अगला सत्र नवा रायपुर के नए भवन में होगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here