पहचान के एक अधिकारी ने हस्तक्षेप कर कैमरा वापस कराया
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के सुपरिचित ट्रैवल यूट्यूबर दीपक पटेल (डीके 808) के साथ हसदेव के जंगल में माब लिंचिंग जैसी घटना होते रह गई। 50-60 लोगों की भीड़ ने उन्हें लगभग एक घंटे तक बंधक बनाए रखा, उनका कैमरा और मोबाइल फोन छीन लिया और पिछले दो महीनों में शूट किए गए सभी डेटा को डिलीट कर दिया। भीड़ मारपीट पर उतारू थी, लेकिन एक परिचित अधिकारी की मदद से पटेल वहां से बचकर निकलने में सफल हुए।
दीपक पटेल ने इस घटना के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि वे पिछले दो महीनों से छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों की यात्रा कर रहे थे। जशपुर में कृष्ण जन्माष्टमी का दही हांडी कवर करने के बाद वे मैनपाट में दो दिन रुके और फिर बिलासपुर लौट रहे थे। लौटते समय, वे हरिहरपुर गांव पहुंचे, जहां घाटबर्रा, हरिहरपुर, और आसपास के ग्रामीण कोयला खदान के लिए की जा रही कटाई के खिलाफ विरोध कर रहे थे। उनके साथ गरियाबंद की एक यूट्यूबर और राजनांदगांव का एक ब्लॉगर भी था। कुछ देर तक वीडियो शूट करने के बाद अचानक 50-60 लोगों की भीड़ कई गाड़ियों में वहां पहुंच गई। उन्हें घेर लिया गया, जिनमें कुछ ने खुद को अडानी कंपनी का कर्मचारी और कुछ ने अपने को स्थानीय ग्रामीण बताया। उनके साथ पुलिस के कुछ जवान भी थे, जिनमें एक सब-इंस्पेक्टर भी शामिल थे। भीड़ ने उनका कैमरा और मोबाइल फोन छीनकर, उन पर सवालों की बौछार कर दी, जैसे – “कहां से आए हो?” “बाहरी लोगों का आना मना है,” “बिना परमिशन क्यों आए हो?” “खदान एरिया में क्यों घुसे?” और “एफआईआर दर्ज कराएंगे।”
पटेल ने बताया कि उन्होंने भीड़ को समझाने की कोशिश की कि वे छत्तीसगढ़ के ही हैं और केवल आंदोलन को कवर करने आए हैं। उन्होंने कहा कि खदान या पेड़ों की कटाई की तरफ वे गए ही नहीं थे। इसके बावजूद, भीड़ ने उनके फोन और कैमरे का सारा डेटा डिलीट करने का दबाव बनाया। पटेल ने कहा कि इसमें उनके पारिवारिक वीडियो भी थे और दो महीनों की मेहनत के वीडियो भी। उन्होंने केवल ताज़ा शूटिंग को डिलीट करने का अनुरोध किया, लेकिन भीड़ ने उनकी बात नहीं मानी और सारा डेटा डिलीट कर दिया। पुलिस इस दौरान चुपचाप खड़ी रही।
पटेल ने बताया कि भीड़ ने डेटा डिलीट करने के बाद उनका मोबाइल फोन तो लौटा दिया, लेकिन कैमरा वापस नहीं किया। तब पटेल ने इलाके में तैनात एक परिचित तहसीलदार से संपर्क किया। तहसीलदार मौके पर पहुंचे और कैमरा वापस कराया। इसके बाद पटेल किसी तरह वहां से बचकर निकले।
पटेल ने कहा कि इस घटना से वे बेहद आहत हैं। यूट्यूबिंग ही उनका मुख्य रोजगार है, और दो महीनों की कड़ी मेहनत को उन्होंने मिनटों में नष्ट कर दिया। उन्होंने कहा कि वे इस घटना के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी कर रहे हैं।
मालूम हो कि दीपक पटेल पूरे छत्तीसगढ़ में बाइक से यात्रा करते हैं और यूट्यूब पर उनके करीब 4 लाख फॉलोअर्स हैं। उन्होंने पहले भी सोशल मीडिया पर पेड़ों की कटाई के विरोध में कई वीडियो पोस्ट किए हैं।
आम आदमी पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता प्रियंका शुक्ला ने दीपक पटेल के साथ हुई इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा कि छत्तीसगढ़ में अडानी राज चल रहा है, जहां गुजरात से आई कंपनी के लोगों को लगाकर स्थानीय लोगों को बाहरी बताकर हसदेव से भगाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि मीडिया और सोशल मीडिया को भी कवरेज करने से रोका जा रहा है। प्रियंका शुक्ला ने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि क्या हसदेव क्षेत्र में संविधान और नागरिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया है?