अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने ली रायपुर में पत्रकार-वार्ता
रायपुर। हसदेव बचाओ आंदोलन के एक प्रमुख सदस्य अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने आज रायपुर प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस वार्ता में हसदेव अरण्य में कोयला खदान की नए ब्लॉक परसा-केते एक्सटेंशन को खनन की अनुमति देने को लेकर अपना विरोध जताया। उन्होंने इस मुद्दे पर आंकड़ों और तथ्यों के साथ विस्तारपूर्वक चर्चा की।
वर्तमान कोयला खदान की क्षमता
श्रीवास्तव ने बताया कि वर्तमान में चालू कोयला खदान पीईकेबी (परसा पूर्व और केते बासन) में पर्याप्त मात्रा में कोयला उपलब्ध है, जिससे अगले 15 सालों तक राजस्थान की बिजली की आवश्यकता पूरी हो सकती है। उन्होंने कहा, “इस खदान में अभी 390 मिलियन टन खनन योग्य कोयला उपलब्ध है, जो 15 साल तक चलेगा।”
नए खदान की मंजूरी अदानी के लिए
श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि नए खदान की मंजूरी का मुख्य उद्देश्य अडानी समूह को फायदा पहुंचाना है। उन्होंने बताया, “राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड का अनुबंध अडानी कंपनी के साथ है, और यह मंजूरी केवल उसी को लाभ पहुंचाने के लिए है।”
राजस्थान विद्युत उत्पादन की आवश्यकता
श्रीवास्तव ने केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) के 20 जुलाई 2021 के आधार पर बताया कि राजस्थान की कुल अधिकतम वार्षिक कोयला आवश्यकता 21 मिलियन टन है। उन्होंने कहा, “राजस्थान के 4340 मेगावाट पावर प्लांट की आवश्यकता वर्तमान में चालू कोयला खदान पीईकेबी से पूरी हो रही है। पीईकेबी की वार्षिक क्षमता 29 मिलियन टन है।”
पर्यावरणीय संतुलन का नुकसान
हसदेव अरण्य में कोयला खदानों की मंजूरी से पर्यावरणीय संतुलन, आदिवासियों की आजीविका और जल संसाधनों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। श्रीवास्तव ने बताया कि पीईकेबी खदान का कुल क्षेत्रफल 2711.034 हेक्टेयर है, जिसमें 1898.328 हेक्टेयर वनक्षेत्र और 812.706 हेक्टेयर गैर-वन भूमि शामिल है।
उन्होंने आगे बताया, “2009 की गणना के अनुसार इस क्षेत्र में 3,67,000 पेड़ थे, जिनमें से लगभग 1.5 लाख पेड़ पहले ही काटे जा चुके हैं।”
प्रस्तावित खदानों का प्रभाव
श्रीवास्तव ने प्रस्तावित परसा और केटे एक्सटेंशन खदानों के बारे में भी जानकारी दी। परसा खदान का कुल क्षेत्रफल 1252.447 हेक्टेयर है, जिसमें 841.538 हेक्टेयर वनक्षेत्र और 410.909 हेक्टेयर गैर-वन भूमि शामिल है। इस क्षेत्र में 96,000 पेड़ हैं।
केटे एक्सटेंशन खदान का कुल क्षेत्रफल 1762.839 हेक्टेयर है, जिसमें 1745.883 हेक्टेयर वनक्षेत्र और 16.956 हेक्टेयर गैर-वन भूमि शामिल है। इस क्षेत्र में लगभग 6 लाख पेड़ हैं। ये सभी 2009 के आंकड़े हैं। अब इनकी संख्या काफी अधिक हो सकती है।
वैकल्पिक समाधान
श्रीवास्तव ने सुझाव दिया कि राजस्थान मध्य प्रदेश की खदानों से कोयला ले सकता है, जिससे परिवहन में 400 रुपये प्रति टन की बचत होगी। उन्होंने कहा, “हसदेव जलग्रहण क्षेत्र को बचाना देश और राज्य के हित में है। खनन क्षेत्र बढ़ने से मानव-हाथी द्वंद भीषण होगा।”
सरकार अनुमति न दे
अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने छत्तीसगढ़ सरकार से अपील की कि वे हसदेव अरण्य में नए कोयला खदानों की अनुमति न दें और पर्यावरणीय संतुलन, आदिवासियों की आजीविका और सघन वनों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
ज्ञात हो कि हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने एक ट्वीट कर परसा-केते एक्सटेंशन खदान में पेड़ कटाई को मंजूरी देने के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रति आभार जताया था। इसके बाद सीएम साय ने कहा था कि उन्हें कोई गलतफहमी हो गई होगी, हमने ऐसी कोई मंजूरी नहीं दी है।