छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में राज्य शासन के उस तबादला आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें 55 वर्ष से अधिक उम्र के एक अधिकारी का तबादला नक्सल प्रभावित क्षेत्र में किया गया था। कोर्ट ने इस निर्णय में शासन के सर्कुलर को आधार बनाया, जिसके अनुसार 55 वर्ष से अधिक उम्र के शासकीय सेवकों को घोर अनुसूचित या नक्सल जिलों में पदस्थ नहीं किया जा सकता।
रायपुर के महादेवघाट रोड की विकास विहार कॉलोनी की निवासी सरोज वर्मा, जो महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, दुर्ग में प्रशिक्षण अधीक्षक के पद पर कार्यरत थीं, का तबादला बीजापुर के अनुसूचित और नक्सल प्रभावित क्षेत्र में कर दिया गया था। यह तबादला आदेश सचिव, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार विभाग, रायपुर द्वारा जारी किया गया था।
सरोज वर्मा ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए अधिवक्ता अभिषेक पांडेय के माध्यम से रिट याचिका दायर की। अधिवक्ता पांडेय ने कोर्ट के सामने शासन के नियमों का हवाला देते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी 2015 के सर्कुलर के अनुसार, 55 वर्ष से अधिक उम्र के अधिकारियों का घोर अनुसूचित जिलों में तबादला नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता की उम्र 60 वर्ष चार माह है और मिर्गी की गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं।
कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद शासन के तबादला आदेश पर रोक लगाते हुए इसे निरस्त कर दिया। कोर्ट ने इस आदेश में याचिकाकर्ता की उम्र और स्वास्थ्य स्थिति को भी ध्यान में रखा, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि बीजापुर जैसी कठिन परिस्थितियों में काम करना उनके लिए चुनौतीपूर्ण होगा।