हाईकोर्ट ने सीबीआई को एक हफ्ते में कार्रवाई करने, मूल दस्तावेजों को जब्त करने का आदेश दिया

बिलासपुर। जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा व जस्टिस पीपी साहू की बेंच एक महत्वपूर्ण आदेश में निःशक्तों के नाम पर संस्था बनाकर एक हजार करोड़ रुपये का घोटाले को लेकर सीबीआई को प्रदेश के दो पूर्व मुख्य सचिवों विवेक ढांड व सुनील कुजूर सहित 13 अधिकारियों के खिलाफ एक सप्ताह के अंदर एफ आई आर दर्ज कर 15 दिनों में मूल दस्तावेज जब्त कर स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने केंद्रीय समाज कल्याण मंत्री रेणुका सिंह पर कोर्ट ने रिपोर्ट दर्ज करने नहीं कहा है हालांकि जांच की प्रक्रिया में उनकी भूमिका को ध्यान में रखने कहा गया है।

उल्लेखनीय है कि रायपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर समाज कल्याण विभाग के माना स्थित राज्य निःशक्तजन स्त्रोत संस्थान में संविदा कर्मचारी के पद पर कार्यरत था। जब खुद को स्थायी करने का आवेदन विभाग को दिया। तब उसे यह जानकारी दी गई की वह सीधे-सीधे समाज कल्याण विभाग का नहीं,वरन फिजिकल रिफरल रिहेबिलेटेशन का स्थायी कर्मचारी है। उसका नियमित रूप से वहीं से वेतन निकल रहा है। यह पता चलने के बाद उसने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी ली। इस पर उसे पता चला कि अधिकारियों ने साठगांठ कर न केवल कर्मचारियों की नियुक्ति में गड़बड़ी की है बल्कि एक फर्जी संस्थान बनाकर हर माह वेतन और निःशक्त जनों के उपचार के नाम पर करोड़ों रुपये निकाले गये हैं।  इस गड़बड़ी के खिलाफ कर्मचारी ने अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर के माध्यम से याचिका दाखिल की थी। उक्त याचिका में कोर्ट ने सीबीआई को कार्रवाई करने का आदेश दिया है।

पूर्व मुख्य सचिव अजय सिंह ने इस मामले में हाईकोर्ट में जवाब पेश किया था, जिसमें उन्होंने भुगतान में लगभग 200 करोड़ रुपये की गड़बड़ी की बात स्वीकार की थी। कोर्ट ने कहा था कि यह गड़बड़ी नहीं बल्कि संगठित रूप से किया गया अपराध है।

कोर्ट ने इस मामले में प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड व सुनील कुजूर, पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव एम के राउत, आलोक शुक्ला, बीएल अग्रवाल, सतीश पांडे, पीपी सोंठी, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, एमएल पांडेय, हेमन खलखो व समाज कल्याण विभाग के संचालक पंकज वर्मा के खिलाफ नामजद अपराध करने का निर्देश दिया है।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि उत्तरवादी उच्च रैंक के हैं इसलिये इस संबंध में सीबीआई स्वतंत्र रूप से सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन से स्वतंत्र जांच करे, यदि इस कोर्ट से किसी और निर्देश की आवश्यकता हो तो सीबीआई आवेदन दे सकती है।

प्रारंभ में प्रार्थी कुंदन सिंह के इस केस को जस्टिस मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव की सिंगल बेंच में सुना गया था। जस्टिस श्रीवास्तव ने इस मामले को गंभीर बताते हुए विस्तृत सुनवाई की जरूरत बताई तब इसे डबल बेंच के समक्ष सुनने के लिए रखा गया।

मामले में केन्द्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बी. गोपा कुमार व राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने पक्ष रखा।

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