बिलासपुर। रक्षित केंद्र स्थित न्यू कॉन्फ्रेंस हॉल में एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को बच्चों की सुरक्षा और संरक्षण पर गहन जानकारी दी गई। इस प्रशिक्षण का आयोजन पुलिस मुख्यालय छत्तीसगढ़ और रेंज पुलिस महानिरीक्षक बिलासपुर के निर्देशन में किया गया, जिसका विषय था- “Training for Child Welfare Police Officers On the JJ and POCSO Act”।
सहानुभूति और संवेदनशीलता जरूरी
कार्यक्रम की शुरुआत यूनिसेफ के नोडल अधिकारी अभिषेक सिंह ने की। उन्होंने पुलिस अधिकारियों को बच्चों के मामलों में सहानुभूति (empathy) और संवेदनशीलता (sensitivity) के साथ काम करने की आवश्यकता पर बल दिया। उनका मानना है कि बच्चों से संवाद करते समय उनकी भावनाओं और मानसिक स्थिति को समझना बेहद जरूरी है।
समाज की मुख्य धारा से जोड़कर रखें- एसपी
पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने बताया कि कम्युनिटी पुलिसिंग (community policing) के दौरान यह देखा गया है कि बच्चे अक्सर मोबाइल और सोशल मीडिया के गलत उपयोग के कारण अपराधों में फंस जाते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बच्चों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए, ताकि वे सुरक्षित और सशक्त बन सकें।
कानूनों की जानकारी बाल कल्याण के लिए अनिवार्य-आईजी
पुलिस महानिरीक्षक संजीव शुक्ला ने बाल संरक्षण कानूनों (child protection laws) की महत्ता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि थानों में पदस्थ बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को संबंधित कानूनों की गहरी समझ होनी चाहिए। इस प्रशिक्षण में यूनिसेफ के विशेषज्ञों द्वारा बाल संरक्षण के कानूनी प्रावधानों पर विस्तार से जानकारी दी गई।
पॉक्सो और किशोर न्याय अधिनियम पर विस्तृत चर्चा
कार्यक्रम में Center for social justice (CSJ) की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर निमिषा श्रीवास्तव ने पॉक्सो एक्ट 2012 (POCSO Act 2012) पर गहन व्याख्यान दिया। वहीं, उर्वशी तिलक ने किशोर न्याय अधिनियम 2015 (Juvenile Justice Act 2015) और बच्चों पर हिंसा के मनोवैज्ञानिक प्रभाव पर प्रशिक्षण दिया। इस दौरान अधिकारियों को केस स्टडीज (case studies) के माध्यम से बच्चों के अधिकारों और उनके शोषण की रोकथाम के बारे में भी अवगत कराया गया।
प्रशिक्षण के समापन पर सम्मान
कार्यक्रम के समापन पर सहायक पुलिस महानिरीक्षक मेघा टेम्भुरकर ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र (certificates) वितरित किए। प्रशिक्षण में रेंज के 8 जिलों से कुल 120 बाल कल्याण पुलिस अधिकारी शामिल हुए, जिन्होंने बच्चों की सुरक्षा और संरक्षण को और भी बेहतर बनाने का संकल्प लिया।