बिलासपुर में ब्याज पर लेनदेन के विवाद के चलते तोरवा निवासी हरिओम सिंह (24) की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। 24 अक्टूबर की रात को उसे कथित रूप से उसके साथी इंद्रजीत यादव और श्रेयांश राजपूत ने अपहरण कर मारपीट की, जिसके बाद उसे गंभीर हालत में तारबाहर क्षेत्र में छोड़ दिया गया। अस्पताल में इलाज के दौरान हरिओम की मौत हो गई।
जानकारी के मुताबिक हरिओम सिंह तोरवा इलाके में ब्याज पर पैसे देने का काम करता था। उसने इसी उद्देश्य से इंद्रजीत यादव और श्रेयांश राजपूत से करीब आठ लाख रुपये उधार लिए थे। इस लेन-देन को लेकर दोनों पक्षों में विवाद चल रहा था। 24 अक्टूबर की दोपहर को इंद्रजीत और श्रेयांश, हरिओम को ढूंढते हुए उसके घर आए। उसी रात हरिओम को वे अपने साथ ले गए। रात करीब 1 बजे इंद्रजीत के फोन से हरिओम ने अपने स्वजन को फोन कर बताया कि उसके साथ मारपीट की जा रही है। इसके बाद हरिओम से संपर्क टूट गया।
घायल अवस्था में मिला
25 अक्टूबर की सुबह, हरिओम विनोबा नगर में गंभीर चोटों के साथ मिला। तारबाहर पुलिस ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। घटना के बाद स्वजन को सूचना मिली कि हरिओम की सड़क हादसे में मौत हुई है। हालाँकि, शरीर पर मिले मारपीट के गहरे निशानों ने घटना को संदिग्ध बना दिया, और पुलिस ने अब इसे हत्या की दृष्टि से जांच में लिया है।
पीएम रिपोर्ट का इंतजार
हरिओम की मौत के बाद, स्वजन ने इंद्रजीत और श्रेयांश पर हत्या का आरोप लगाया और कहा कि दोनों ने हरिओम से मनमाना ब्याज वसूलने के लिए उसके साथ मारपीट की। स्वजन का कहना है कि घटना के दिन पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया, जिससे हरिओम की समय पर मदद नहीं हो सकी। पुलिस द्वारा जानकारी नहीं दिए जाने से अस्पताल में हरिओम का इलाज लावारिस की तरह किया गया। तारबाहर थाने के टीआई जेपी गुप्ता के अनुसार, हरिओम के शरीर पर पिटाई के गहरे निशान हैं, जो इस मामले को हत्या की ओर इंगित करते हैं। पीएम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। उधर, तोरवा टीआई राहुल तिवारी ने बताया कि घटना तारबाहर क्षेत्र में होने के कारण केस वहां स्थानांतरित कर दिया गया है।