भारतीय न्याय संहिता की धारा 103 के तहत गिरफ्तार, कोर्ट ने जेल भेजा
बिलासपुर। नवजात बच्ची तारा की कुएं में मिली लाश की गुत्थी पुलिस ने सुलझा ली है। तीसरी बार बेटी होने से अपने मान-सम्मान को लेकर चिंतित उसकी मां ने ही आधी रात को अपनी बच्ची को कुएं में ले जाकर फेंक दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। नये कानून भारतीय न्याय संहिता की धारा 103 के तहत उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे रिमांड पर जेल भेज दिया गया।
एक जुलाई को किरारी के करन गोयल ने मस्तूरी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसकी 24 दिन की बच्ची, जो अपने मां के साथ सो रही थी, रात में गायब हो गई है। पुलिस ने जांच शुरू की तो मालूम हुआ कि 30 जून को रात 10 बजे सभी खाना खाकर सो गए थे। बच्ची की मां हसीन गोयल ने बताया कि रात करीब 1 बजे उसने बच्ची को दूध पिलाया और करवट बदलकर सो गई। रात करीब 2.30 बजे उसने पाया कि बच्ची बिस्तर से गायब है। तब उसने अलग कमरे मे सो रहे पति तथा सास-ससुर को जगाकर यह बात बताई। पूछताछ से पुलिस को पता चला कि घर का दरवाजा भीतर से बंद था, जब बच्ची गायब होने की जानकारी मिली, तब भी दरवाजा भीतर से बंद ही था। इस तरह घटना में घर के किसी व्यक्ति के शामिल होने की पूरी आशंका थी। अगले दिन आसपास के कुएं और तालाब की गोताखोरों से खोज कराई गई। बच्ची का शव घर के सामने ही कुएं में मिला। इस दौरान घटनास्थल का नए कानून के तहत वीडियोग्राफी की गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पानी में डूबने से बच्ची की मृत्यु होने का पता चला। प्रकरण में धारा 103 बीएनएस(हत्या) जोड़ी गई। शव मिलने के पश्चात परिजनों से मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक तरीके से पूछताछ की गई । पूछताछ में सभी ने घटना में शामिल होने से इंकार किया गया। पुलिस ने पाया कि मां को बच्ची के जाने के बाद भी दुःख या पछतावे का भाव नहीं दिख रहा है। बच्ची के अंतिम संस्कार के बाद उसकी मां भावनात्मक रूप से टूट गई और बताया कि उसे लड़के की चाह थी पर लड़की हुई। इसके बाद घर मे उसका मान सम्मान कम हो जाएगा ऐसा सोचकर उसने घर के सामने वाला कुएं में उसे जिंदा फेंक दिया। गवाहो के समक्ष कबूल करने पर आरोपी मां को न्यायिक रिमाण्ड पर भेज दिया गया।
बिलासपुर पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि इस तरह के कृत्य पूरे समाज के प्रति एक गंभीर अमानवीय अपराध है, जो हृदयविदारक है। माता पिता और एक परिवार के तौर पर हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है कि लड़के और लड़की में विभेद न करते हुए उन्हें समान प्रेम, संस्कार और परवरिश दें।