सक्ती। जिले की फास्ट ट्रैक अदालत ने दिव्यांग युवती से दुष्कर्म करने के आरोपी को 20 वर्ष तथा गर्भपात में मदद करने वाली आरोपी की मां को 10 साल की कारावास की सजा सुनाई है।
अभियोजन के अनुसार बाराद्वार इलाके की पीड़ित युवती दोनों आंखों की दृष्टि खो चुकी है और शारीरिक रूप से भी अशक्त है। उसके माता-पिता की मौत हो चुकी है और बड़ा भाई कमाने खाने के लिए बाहर रहता है। वह अपने छोटे भाई के साथ घर पर रहती है, जो मजदूरी करने के लिए जाता है। आरोपी दीपक साहू का युवती के घर आना जाना था और उसके भाई का दोस्त था। घर में अकेली पाकर उसने युवती से दुष्कर्म किया। वह जब भी अकेली होती थी, वह बार-बार घर पहुंचता था। इस दौरान उसे वह विवाह का झांसा देता रहा। दुष्कर्म के चलते युवती गर्भवती हो गई। युवती ने तब शादी के लिए कहा। आरोपी युवक ने यह जानकारी अपनी मां चंपा साहू को दी, जो गांव में मितानिन है। दोनों उसे विवाह करने का झांसा देते रहे। एक दिन वे उसकी आंख का इलाज कराने के बहाने उसे बाइक से बाराद्वार ले गए और एक नर्स के जरिये दवा खिलाकर उसका गर्भपात करा दिया।
मां बेटे ने पीड़ित युवती को इसके बाद छोड़ दिया। इधर पेट में दर्द बढ़ने पर युवती ने जांच कराई तो उसे मालूम हुआ कि उसका गर्भपात करा दिया गया है। जब युवती ने फिर शादी करने के लिए कहा तो आरोपी ने इससे इनकार कर दिया। तब युवती ने परिजनों के साथ जाकर बाराद्वार थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और विवेचना के बाद केस डायरी कोर्ट में पेश की। फर्स्ट ट्रेक कोर्ट के विशेष न्यायाधीश प्रशांत कुमार शिवहरे ने सुनवाई के बाद आरोपी ग्राम खम्हरिया के दीपक साहू को आईपीसी की धारा 376 (ट ठ) में 20 साल के कारावास की सजा सुनाई और 3000 का अर्थदंड दिया। मितानिन मां चंपा साहू को गर्भपात कराने में मदद के लिए धारा 313, 24 के तहत 10 साल की सजा तथा 2000 रुपये का अर्थदंड दिया। पीड़ित पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक राकेश महंत ने पैरवी की।