नई दिल्ली। आज सेमिकॉन इंडिया 2025 सम्मेलन में भारत ने अपना पहला पूरी तरह से घरेलू 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर ‘विक्रम’ लॉन्च कर दिया। ये चिप स्पेस मिशनों के लिए बनी है और देश की तकनीकी ताकत को नई ऊंचाई देगी। ये क्या है, किसने बनाया, कब और क्यों लॉन्च हुआ, ये कैसे काम करेगा, देश को क्या फायदा होगा और दुनिया में भारत की क्या जगह है?
विक्रम चिप आखिर क्या है?
विक्रम, जिसका पूरा नाम VIKRAM3201 है, एक छोटा लेकिन ताकतवर कंप्यूटर का दिमाग है। ये 32-बिट का माइक्रोप्रोसेसर है, मतलब ये बड़े-बड़े डेटा को तेजी से प्रोसेस कर सकता है। ये स्पेस रॉकेट्स और सैटेलाइट्स के लिए खासतौर पर बनाया गया है, जहां बहुत ठंड, गर्मी या रेडिएशन जैसी मुश्किल हालतें होती हैं। पहले की 16-बिट चिप विक्रम-1601 का अपग्रेड वर्जन है ये।
किसने, कब और क्यों लॉन्च किया?
ये चिप इसरो (ISRO) की सेमीकंडक्टर लैब (SCL) चंडीगढ़ और विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) ने मिलकर बनाई है। फैब्रिकेशन 180nm CMOS टेक्नोलॉजी से मोहाली, पंजाब में हुआ। लॉन्च आज, 2 सितंबर 2025 को सेमिकॉन इंडिया 2025 सम्मेलन में दिल्ली में हुआ। आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा।
क्यों बनाया? क्योंकि भारत अब विदेशी चिप्स पर निर्भर नहीं रहना चाहता। 2021 में शुरू हुई इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) का हिस्सा है ये, जो आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा करेगी। स्पेस मिशनों में अब अपनी चिप यूज करेंगे, जिससे पैसे बचेंगे और सुरक्षा बढ़ेगी। मार्च में ही इसे इसरो के प्रोग्राम में शामिल किया गया था, और 2024 के PSLV-C60 मिशन में टेस्ट भी हो चुका है।
ये कैसे काम करेगा?
सोचिए, ये चिप एक स्मार्ट ब्रेन की तरह है। 32-बिट आर्किटेक्चर से ये जटिल कैलकुलेशन तेजी से करता है, जैसे फ्लोटिंग-पॉइंट कंप्यूटेशन। इसमें कस्टम इंस्ट्रक्शन सेट है, जो स्पेस के लिए खास डिजाइन किया गया। प्रोग्रामिंग के लिए Ada लैंग्वेज सपोर्ट है, और जल्दी C लैंग्वेज भी जुड़ेगा। इसरो ने खुद कंपाइलर, असेंबलर, लिंकर और सिमुलेटर जैसे टूल्स बनाए हैं। स्पेस लॉन्च व्हीकल्स में ये कंट्रोल सिस्टम चलाएगा, जहां बाहर की चिप्स फेल हो सकती हैं।
देश के लिए क्या फायदा?
ये चिप देश को बहुत मजबूत बनाएगी। सबसे बड़ा फायदा – विदेशी चिप्स इंपोर्ट करने से अरबों रुपए बचेंगे। स्पेस, डिफेंस, कारों, एनर्जी और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में यूज होगा। मेक इन इंडिया को बूस्ट मिलेगा, नौकरियां बढ़ेंगी और अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। सरकार की PLI स्कीम (76,000 करोड़ की) और DLI स्कीम से 23 चिप डिजाइन प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं, जिससे भारत चिप बनाने का हब बनेगा। कुल मिलाकर, ये आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम है।
दुनिया में भारत की क्या स्थिति?
दुनिया में सेमीकंडक्टर का बाजार 1 ट्रिलियन डॉलर का है, और भारत अभी उभर रहा है। हमारे पास ग्लोबल चिप डिजाइन इंजीनियर्स का 20% टैलेंट है, जो बड़ी बात है। ग्लोबल दिग्गज जैसे इंटेल, क्वालकॉम भारत में R&D सेंटर्स चला रहे हैं। लेकिन मैन्युफैक्चरिंग में हम ताइवान, अमेरिका, साउथ कोरिया और चीन से पीछे हैं। 2030 तक हमारी इंडस्ट्री 110 बिलियन डॉलर की हो सकती है, सरकार 10 प्रोजेक्ट्स पर 18 बिलियन डॉलर इन्वेस्ट कर रही है। विक्रम जैसी इनोवेशन से भारत ग्लोबल प्लेयर बन रहा है, खासकर स्पेस टेक में। अभी शुरुआत है, लेकिन रफ्तार तेज है।
कुल मिलाकर, विक्रम चिप भारत की तकनीकी क्रांति का प्रतीक है। ये न सिर्फ स्पेस मिशनों को मजबूत करेगा, बल्कि दुनिया को दिखाएगा कि भारत अब चिप्स खरीदने वाला नहीं, बनाने वाला देश है। आगे और ऐसी खबरें आएंगी, देखते रहिए!