अटल यूनिवर्सिटी के कुलपति ने कहा- हम प्रकृति के साधक हैं, उपभोक्ता नहीं
बिलासपुर। डॉ सीवी रमन विश्वविद्यालय में सोशियो इकोनॉमिक, इकोलॉजिकल एंड कल्चरल आस्पेक्ट्स ऑफ प्लानिंग एंड मैनेजमेंट ऑफ रिवर्स विषय पर दो दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। 12 एवं 13 जून को आयोजित दो दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस में भारत के अलावा ब्रिटेन व नेपाल से भी विद्वान वक्ताओं ने विचार मंथन किया। इस दौरान भारत और छत्तीसगढ़ की नदियों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए अनेक सुझाव आए। यह आयोजन सामाजिक विज्ञान विभाग (भूगोल), आइक्यूएसी और बिलासा कन्या महाविद्यालय बिलासपुर के भूगोल विभाग ने संयुक्त रूप से किया था।
समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एडीएन वाजपेयी ने कहा कि नदी को हम जीवन धारा कहते हैं। नदियों की श्रृंखला ही भारत की पहचान है। उन्होंने कहा कि नदियों को बचाने के लिए हमें ने बड़ा प्रयास करना होगा। भूगोल की भौतिकवादी दृष्टि में आध्यात्मिक दृष्टि की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उपभोग की शैली ऐसी बनाएं जिससे आने वाली पीढ़ी के लिए भी नदी को बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में कहा गया है कि हम प्रकृति के उपासक हैं, साधक हैं, उपभोक्ता नहीं। प्रकृति पर विजय प्राप्त करना विज्ञान हो सकता है। हमारा उद्देश्य विजय प्राप्त करना नहीं होना चाहिए। नदियों को बचाने के लिए उन्हें सम्मान देना होगा क्योंकि जिसे हम सम्मान देते हैं उसका शोषण नहीं करते।
कॉन्फ्रेंस में उपस्थित डॉ सीवी रमन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि नदियों के किनारे ही संस्कृति और सभ्यताएं पल्लवित होती हैं। जब नदियां खत्म हो जाएगी तब संस्कृति और सभ्यता भी खत्म हो जाएगी। इसलिए हमें अपनी संस्कृति सभ्यता को बचाने के लिए इन नदियों को भी बचना होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है, जिसके समस्याओं को समझ कर उसका समाधान निकाल सकते हैं. इसलिए शिक्षण संस्थानों की जिम्मेवारी भी सबसे अधिक बनती है।।
कॉन्फ्रेंस में नदियों के संरक्षण संवर्धन की दिशा में मंथन हुआ और अनेक सुझाव भी आए हैं। इसकी रिपोर्ट छत्तीसगढ़ शासन के साथ-साथ केंद्र सरकार को भेजी जाएगी। कार्यक्रम में उपस्थित आर्ट्स डीन प्रो. वेद प्रकाश मिश्रा ने अपने विचार प्रकट किए। इस अवसर पर कार्यक्रम की संयोजक प्रो. काजल मोइत्रा ने कहा कि वर्तमान समय में यह कॉन्फ्रेंस सुसंगत है। हम सबको मिलकर नदियों के लिए कार्य करना होगा। इस अवसर पर कार्यक्रम की सह संयोजक प्रो डी डी कश्यप , विभागाध्यक्ष भूगोल विभाग, बिलासा कन्या महाविद्यालय, ने कहा कि नदियों का संरक्षण आवश्यक है। कार्यक्रम का संचालन डॉ ज्योति बाला गुप्ता ने किया कार्यक्रम में आभार बिलासा कन्या महाविद्यालय की प्राध्यापक डॉक्टर कावेरी दाभड़कर ने व्यक्त किया।
दो दिनों तक चले इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में डॉक्टर लक्ष्मी व्यास प्रेसिडेंट हिंदू फोरम ऑफ यूरोप और यूएई ईसीसी एंड वूमेन फेथ लीडर, प्रोफेसर उमेश कुमार त्रिभुवन विश्वविद्यालय नेपाल, प्रोफेसर देवेंद्र प्रसाद सिंह डायरेक्टर ऑफ़ रिसर्च आईईआरएआरडी इंस्टिट्यूट फॉर एनवायरमेंटल रिसर्च एंड रूरल डेवलपमेंट एनवायरमेंटल ऑर्गेनाइजेशन पटना बिहार, डॉ राम भूषण तिवारी डिपार्टमेंट ऑफ ज्योग्राफी, इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल सेंट्रल यूनिवर्सिटी अमरकंटक मध्य प्रदेश, प्रोफेसर पीएल चंद्राकर उप प्राचार्य सीएमडी महाविद्यालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ , बिलासा कन्या महाविद्यालय बिलासपुर के प्रो. एस आर कमलेश, डीडी कश्यप बिलासा कन्या महाविद्यालय ने अपने विचार रखे।