तखतपुर। टेकचंद कारड़ा। प्रदेश सरकार द्वारा कार्यरत कर्मचारियों की 2020 और 2021 के वेतन वृद्धि को विलंबित रखने के आदेश का छत्तीसगढ़ व्याख्याता संघ ने पुरजोर विरोध किया है।

संघ के प्रवक्ता जितेंद्र शुक्ला ने कहा कि कोरोना वायरस के प्रकोप में कर्मचारी जी-जान से सेवा दे रहे हैं ऐसे में वेतन वृद्धि रोकने का आदेश हैरान कर देने वाला है। पहले तो प्रदेश सरकार ने डीए रोकने का आदेश जारी किया अब वेतन वृद्धि को भी विलंबित रखने का आदेश जारी कर दिया है। इसका कर्मचारियों पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। सेवानिवृत्ति और पेंशन के समय भी हर कर्मचारी अधिकारी को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। वैसे भी वर्ष भर के सेवा के  आधार पर कर्मचारियों को वेतन वृद्धि दी जाती है किंतु सरकार ने इसे मितव्ययिता माना है। न्याय योजना के कारण कर्मचारी जगत में भी हर्ष का माहौल बना था परंतु वेतन वृद्धि रोकने से सभी कर्मचारियों में घोर निराशा और असंतोष है। प्रदेश के सभी कर्मचारी  मुख्यमंत्री के अपील पर अपना एक-एक दिन का वेतन भी दे चुके हैं जिससे कारण खजाने में करोड़ों रुपए की राशि भी जमा हुए हैं।  संघ का मानना है कि हो सकता है प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अधिकारियों ने गुमराह किया हो।

संघ के प्रांत अध्यक्ष राकेश शर्मा, महामंत्री अभय मिश्रा सहित एमसी राय, जितेंद्र शुक्ला, अश्वनी मिश्रा, वेद प्रकाश शुक्ला, रेखा गुल्ला, सौरभ सक्सेना, मोना हीरा धर, अरविंद कौशिक, अरविंद चंदेल, शैलेश शर्मा, रवि दुबे, राजकुमार तिवारी, नरेंद्र राजपूत, श्याम उरांव, जनक राम साहू, निरंजन पांडे, शिव राम कश्यप, सुनील कश्यप सहित अन्य ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि वेतन वृद्धि रोकने के आदेश पर पुनर्विचार कर वापस ले अन्यथा कर्मचारी संघ आंदोलन करने को बाध्य होगा।

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