बिलासपुर। शुक्रवार को देशव्यापी हड़ताल का एसईसीएल की खदानों में असर देखा गया। किसानों की मांगों के समर्थन में श्रमिक संगठनों ने हड़ताल पर उतरे थे साथ ही उन्होंने अपनी मांगें भी रखी थीं।
एसईसीएल प्रबंधन की ओर से कहा गया है कि हड़ताल का मिला जुला असर उनके कोयला खदानों में देखा गया। पहली पाली में 53 प्रतिशत तो दूसरी पाली में 56 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज की गई। कुल 65 में से 17 खदानें पूरी तरह प्रभावित थीं। 20 पर आंशिक प्रभाव रहा वहीं 28 मेगा परियोजना वाली खदानों में पहली पाली में आंशिक असर देखा गया, दूसरी पारी में सामान्य रूप से काम हुआ। प्रथम पाली में कंपनी का उत्पादन सामान्य दिन की तुलना में 76  प्रतिशत रहा वहीं ओबीआर 66 प्रतिशत रहा। यद्यपि खदानों में उपस्थिति प्रभावित रही किंतु इससे कंपनी के सम्पूर्ण दैनिक उत्पादन व डिस्पैच पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ा।
ज्ञात हो कि इस बंद को संयुक्त ट्रेड यूनियन से संबद्ध एटक, इंटक, एचएमएस और सीटू का समर्थन था। सर्वाधिक उत्पादन वाले कोयला जिले की खदानों में यूनियन नेताओं ने बंद को सफल बनाने में कसर बाकी नहीं रखी। श्रमिक संगठनों ने कोयला खदानों के निजीकरण, खदानों को अनियमित रूप से बंद करने, ठेका श्रमिक आदि के मुद्दे पर आंदोलन में भाग लिया था।

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