नारायणपुर जिले के प्रतिष्ठित पारंपरिक चिकित्सक वैद्यराज हेमचंद मांझी ने नक्सलियों की धमकियों के बाद सोमवार को पद्मश्री पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है। मांझी ने बढ़ती धमकियों के कारण अपनी चिकित्सा पद्धति भी बंद करने की योजना बनाई है। कुछ समय पहले मांझी के भतीजे को नक्सलियों ने मुखबिरी का आरोप लगाते हुए मार दिया था। इधर इस घटनाक्रम के बाद गृह मंत्रालय ने उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा देने का आदेश जारी किया है।

72 वर्षीय मांझी को पिछले महीने पारंपरिक चिकित्सा में उनके योगदान के लिए भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। इधर, रविवार की रात को नक्सलियों ने चमेली और गौरदंड गांवों में निर्माणाधीन दो मोबाइल टावरों में आग लगा दी और मांझी को धमकी भरे बैनर और पर्चे छोड़े। इन पर्चों में राष्ट्रपति हेमचंद मांझी की तस्वीर भी शामिल थी।
नक्सलियों ने मांझी पर छोटेडोंगर में आमदई घाटी लौह अयस्क परियोजना में मदद करने और बड़ी मात्रा में रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। मांझी ने इन आरोपों से लगातार इनकार किया है। मांझी ने सोमवार को अपनी बेगुनाही दोहराते हुए कहा कि खदान से उनका कोई लेना-देना नहीं है।
मांझी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अपने परिवार से चर्चा करने के बाद मैंने पद्मश्री पुरस्कार लौटाने और अपनी प्रैक्टिस बंद करने का फैसला किया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उन्होंने यह पुरस्कार मांगा नहीं है। उन्हें विभिन्न बीमारियों, खासकर कैंसर के लिए विगत पांच दशकों से किए जा रहे हर्बल उपचार के लिए सम्मान दिया गया था।
उल्लेखनीय है कि मांझी के भतीजे कोमल मांझी को पिछले साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों ने आमदई घाटी परियोजना के एजेंट होने के आरोप में मार डाला था। उन्हें हेमचंद मांझी की तलाश थी, लेकिन उनके हाथ नहीं आने पर उन्होंने उनके भतीजे की ही जान ले ली। इसके बाद मांझी और उनका परिवार सुरक्षा के लिए नारायणपुर शहर चले गए और पुलिस सुरक्षा में रहने लगे। ताजा धमकी भरे पर्चे के बाद गृह मंत्रालय ने उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा देने का आदेश जारी किया है।
मांझी ने प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई मौजूदा जीवन स्थितियों पर असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “मुझे आवंटित घर में चारदीवारी, पानी की आपूर्ति और अन्य सुविधाओं का अभाव है। मैं प्रशासन से उचित घर उपलब्ध कराने का अनुरोध करता हूं।”
जयासवाल नेको इंडस्ट्रीज लिमिटेड को आवंटित आमदई घाटी लौह अयस्क खदान को लंबे समय से नक्सलियों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। मांझी का अपना पुरस्कार लौटाने का निर्णय स्थानीय समुदायों और सार्वजनिक सेवा के लिए समर्पित व्यक्तियों पर नक्सली खतरों के गंभीर प्रभाव को उजागर करता है।

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