प्रदेश भर में सिविल कोर्ट में लंबित लगभग 39 हजार प्रकरणों का भी निराकरण
बिलासपुर। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर एवं राज्य प्राधिकरण के संरक्षक मुख्य न्यायाधिपति रमेश सिन्हा व कार्यपालक अध्यक्ष न्यायाधिपति गौतम भादुड़ी, कार्यपालक अध्यक्ष के निर्देशन में शनिवार को नेशनल लोक अदालत का आयोजन पूरे छत्तीसगढ़ में किया गया। इसके लिए प्रदेश भर में लगभग 400 खण्डपीठों का गठन किया गया।
यह लोक अदालत प्रदेश भर के समस्त जिला न्यायालय, तहसील न्यायालय, राजस्व न्यायालय, लेबर कोर्ट, उपभोक्ता फोरम, स्टेट कामर्शियल कोर्ट तथा हाईकोर्ट में आयोजित की गयी थी। जस्टिस सिन्हा ने लोक अदालत के सफल आयोजन के लिए प्रदेश भर के समस्त कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक एवं जिला न्यायाधीशों को अधिक से अधिक प्रकरणों के निराकरण का निर्देश दिया था। लोक अदालत का आयोजन भौतिक एवं वर्चुअल मोड दोनों में रखा गया। कई प्रकरणों में वर्चुअल मोड में मोबाइल के माध्यम से पक्षकारों ने अपने प्रकरण का निराकरण कराया।
लोक अदालत में निराकरण हेतु 4,93,000 प्रकरणों को रखा गया था जिसमें तीन लाख 93 हजार से ज्यादा प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है। सर्वाधिक प्रकरण रायपुर जिले के एक लाख सैतालीस हजार तथा राजनांदगांव जिले के 52 हजार प्रकरणों का निराकरण हुआ। दुर्ग जिले में 48 हजार प्रकरणों का निराकरण किया गया।
जस्टिस भादुड़ी ने दुर्ग के नेशनल लोक अदालत का निरीक्षण भी किया। इस अवसर पर उन्होंने पक्षकारों, अधिक्ताओं और न्यायाधीशों से चर्चा की। उन्होंने पक्षकारों को आपसी राजीनामे के साथ प्रकरण के निराकृत कराने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि लोक अदालत में निराकृत प्रकरणों से दोनों पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण स्थापित होता है और किसी भी पक्ष की हार नहीं होती। उन्होने यह भी बताया कि लोक अदालत में निराकृत प्रकरणों में न्याय शुल्क भी वापस हो जाता है।
संतोष ठाकुर, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में वर्चुअल मोड से निराकृत हो रहे प्रकरण में पक्षकारों को समझाईश दी गई। उक्त प्रकरण आरोपी द्वारा 60 वर्षीय माता के साथ की गई मारपीट से सबंधित था। आरोपी की माता बिहार में होने के कारण वहां से आने में असमर्थ थी। अतः वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से प्रकरण का निराकरण किया गया। इसी प्रकार बेगलूरू के बैंक में कार्यरत एक व्यक्ति का प्रकरण दुर्ग न्यायालय में चल रहा था। बैंक से अवकाश नहीं मिलने के कारण वह उपस्थित नहीं हो पाया। ऐसी स्थिति में वर्चुअल मोड में उसके प्रकरण का निराकरण किया गया। दुर्ग के ही दो भाईयों के बीच पारिवारिक संपत्ति को लेकर मारपीट का प्रकरण भी न्यायालय में लबित था। दोनों पक्षकारों को समझाईश दिये जाने पर दोनों ने समझौता कर साथ रहने की सहमति व्यक्त की।
धमधा में सिविल कोर्ट प्रारंभ
शनिवार को ही धमधा में सिविल कोर्ट का उद्धाटन न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी ने किया। इस अवसर पर उन्होने कहा कि अब इस क्षेत्र के निवासियों को अपने मामलों में न्याय प्राप्त करने के लिए दुर्ग तक नहीं जाना पडेंगा, उन्हें यहीं पर आसानी से सुलभ एवं सस्ता न्याय प्राप्त हो जायेगा। उनके प्रवास के दौरा शैलेष तिवारी, प्रभारी जिला न्यायाधीश, दुर्ग तथा आनंद प्रकाश वारियाल, सदस्य सचिव, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण भी साथ थे।
उच्च न्यायालय बिलासपुर में कुल 79 प्रकरणों का निराकरण हुआ जिसमें मोटर दुर्घटना के 44 प्रकरणों में एक करोड़ आठ लाख का अवार्ड पारित किया गया। अन्य सिविल प्रकरण 5 तथा 29 सर्विस मेटर के प्रकरण निराकृत हुए। कामर्शियल कोर्ट रायपुर में तीन प्रकरणों में लगभग चार करोड़ की डिक्री पारित की गयी।
प्रदेश भर के सभी जिला उपभोक्ता फोरम में भी लोक अदालतों का आयोजन किया गया था, जहां कुल 136 प्रकरणों का निराकरण हुआ। प्रदेश भर में मोटर दुर्घटना के कुल 565 प्रकरण निराकृत हुए जिसमें क्षतिपूर्ति के रूप में लगभग 28 करोड़ रु. की राशि स्वीकृत की गई। कुल 745 वैवाहिक प्रकरण कुटुम्ब न्यायालय में निराकृत हुए और बहुत सारे पक्षकारों ने जो पति पत्नी अलग रह रहे थे उन्होंने साथ रहने में सहमति जताई और परिवार फिर से बसा लिया। धारा 138 चेक बाउन्स के 2151 प्रकरणों का निराकरण हुआ तथा राजस्व के कुल 2 लाख 94 हजार प्रकरणों का निराकरण हुआ। लोक अदालत में बाप-बेटों के बीच के मामले, भाई-भाई के बीच विवाद के मामले, पड़ोसियों के मध्य विवादों का निराकरण किया गया। दो समधनों ने भी अपने मारपीट के मामले में समझौता किया। बाप बेटे के मध्य संपत्ति का विवाद भी निराकृत हुआ। मोटर दुर्घटना के प्रकरणों में भी लोगों के मध्य आपसी राजीनामा हुआ। राजनांदगांव में इंडसइंड बैंक के द्वारा 19 लाख रुपये की वसूली के लिए प्रस्तुत दावा प्रकरण में ढाई लाख रुपए में समझौता किया गया। प्रकरण 06 वर्षों से न्यायालय में लंबित था।