नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच कभी मजबूत माने जाने वाले संबंध अब तनाव की चपेट में आ गए हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने मोदी से अप्रत्यक्ष रूप से नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकन की उम्मीद जताई थी, लेकिन मोदी के इनकार ने ट्रंप को नाराज कर दिया। नतीजतन, अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत तक के भारी टैरिफ लगा दिए, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में दरार पड़ गई है।

यह घटनाक्रम भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम के बाद की एक फोन कॉल से जुड़ा है, जहां ट्रंप ने खुद को शांति का दूत बताते हुए नोबेल का जिक्र किया था।

फोन कॉल में ट्रंप का दावा और मोदी का विरोध

जून महीने में भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के बाद ट्रंप ने मोदी को फोन किया। रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने ही इस संघर्ष विराम को संभव बनाया और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से बात करके भारत को “बचाया”। हालांकि, मोदी ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि संघर्ष विराम द्विपक्षीय बातचीत से हुआ, जिसमें किसी बाहरी मध्यस्थता की जरूरत नहीं पड़ी। ट्रंप ने मोदी के विरोध को नजरअंदाज कर दिया और अप्रत्यक्ष रूप से संकेत दिया कि भारत को उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करना चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान ने ऐसा किया है। मोदी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जो ट्रंप को नागवार गुजरा।

नोबेल पुरस्कार ट्रंप की पुरानी चाहत

ट्रंप की नोबेल पुरस्कार की चाहत कोई नई बात नहीं है। उन्होंने पहले भी कई बार दावा किया है कि उन्होंने विश्व शांति के लिए बड़े काम किए हैं, जैसे आर्मेनिया-अजरबैजान, दक्षिण एशिया और अफ्रीका में संघर्ष विराम। लेकिन नोबेल नामांकन गोपनीय होते हैं और वास्तव में ट्रंप को कभी आधिकारिक नामांकन नहीं मिला। रिपोर्ट बताती है कि मोदी के इनकार ने ट्रंप को व्यक्तिगत अपमान महसूस कराया, क्योंकि वे मोदी को अपना “सच्चा दोस्त” मानते थे। विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की यह महत्वाकांक्षा उनकी विदेश नीति को प्रभावित करती है, जहां वे प्रशंसा की उम्मीद में फैसले लेते हैं।

टैरिफ का झटका: आर्थिक दबाव की रणनीति

फोन कॉल के कुछ हफ्तों बाद ही ट्रंप ने भारत पर भारी टैरिफ की घोषणा कर दी – पहले 25 प्रतिशत, फिर अतिरिक्त 25 प्रतिशत। अमेरिका ने भारत को “अच्छा व्यापारिक साझेदार नहीं” करार दिया। यह फैसला मोदी के इनकार से जुड़ा माना जा रहा है, हालांकि ट्रंप प्रशासन इसे व्यापार असंतुलन से जोड़ता है। भारत को इससे बड़ा आर्थिक झटका लगा है, क्योंकि अमेरिका उसका सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। विश्लेषण से पता चलता है कि ट्रंप की यह रणनीति चीन की आर्थिक दबाव वाली नीति से मिलती-जुलती है, जहां टैरिफ को विदेश नीति के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

क्वाड समिट पर असर: ट्रंप की भारत यात्रा रद्द?

तनाव का असर अब क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) समिट पर भी पड़ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप नई दिल्ली में होने वाले समिट में हिस्सा नहीं लेंगे, जो मोदी के लिए बड़ा झटका है। ट्रंप ने मोदी को चार बार फोन किया, लेकिन मोदी ने कोई जवाब नहीं दिया। यह स्थिति भारत-अमेरिका संबंधों को कमजोर कर सकती है, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के खिलाफ एकजुटता के लिए।

भारत-अमेरिका संबंधों का भविष्य क्या?

यह घटनाक्रम ट्रंप की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं और मोदी की स्वतंत्र विदेश नीति के टकराव को उजागर करता है। जहां ट्रंप टैरिफ और सोशल मीडिया के जरिए दबाव बनाते हैं, वहीं मोदी चुप्पी से जवाब दे रहे हैं। भारत के लिए यह चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि टैरिफ से अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी, लेकिन लंबे समय में यह भारत को विविधीकरण की ओर धकेल सकता है। कुल मिलाकर, यह रिपोर्ट बताती है कि वैश्विक कूटनीति में व्यक्तिगत अहंकार कितना बड़ा रोल निभा सकता है।

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