रायपुर। छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई के विरोध में आज शाम 4:30 बजे अंबेडकर चौक, रायपुर में एक नागरिक प्रतिरोध का आयोजन किया जा रहा है। यह विरोध प्रदर्शन राजस्थान और अडानी को आवंटित तीन कोल ब्लॉक के लिए 10 लाख पेड़ों की कटाई के खिलाफ हो रहा है।
इस आयोजन में शामिल होने की अपील करते हुए विभिन्न संगठनों से जुड़े संजय पराते, डॉक्टर सत्यजीत साहू, आलोक शुक्ला, उदयभान सिंह, प्रियंका आदि ने कहा कि हसदेव अरण्य को छत्तीसगढ़ का फेफड़ा कहा जाता है, क्योंकि यह जंगल जैव विविधता से समृद्ध है और यह हसदेव नदी और मिनीमाता बांध के कैचमेंट क्षेत्र में आता है, जिससे 4 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होती है। भारतीय वन्यजीव संस्थान ने पूरे हसदेव अरण्य क्षेत्र में खनन पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है। संस्थान ने कहा है कि अगर यहां खनन की अनुमति दी गई तो छत्तीसगढ़ में मानव-हाथी संघर्ष की स्थिति बेहद विकराल हो जाएगी। इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ विधानसभा में भी 26 जुलाई 2022 को सर्वसम्मति से हसदेव के सभी कोल ब्लॉक को निरस्त करने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया था।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए गए शपथ पत्र में स्वीकार किया है कि हसदेव में खनन राज्य के हित में नहीं है, लेकिन अदानी कंपनी के मुनाफे के लिए जंगल का विनाश लगातार जारी है। कल परसा ईस्ट केते बासेन खदान के दूसरे चरण के लिए पेड़ों की कटाई शुरू की जाएगी। आयोजकों का आरोप है कि पिछले दिनों, गांव को छावनी बनाकर बिना किसी प्रस्ताव के घाट बर्रा ग्राम सभा में हस्ताक्षर करवाए गए थे।
आयोजकों ने पूछा है कि, हाल ही में मुख्यमंत्री ने कहा था कि कुछ गलतफहमी हुई है और उन्होंने कोई सहमति नहीं दी है, फिर इस कटाई का आदेश कहां से जारी हुआ है? हसदेव का जंगल केवल वहाँ के आदिवासियों के लिए नहीं, बल्कि हम सभी के जीवन के लिए अनिवार्य है। इन समृद्ध प्राकृतिक जंगलों और पर्यावरण को बचाने के लिए नागरिकों से इस प्रतिरोध में एकजुट होकर शामिल होने की अपील की उन्होंने की है।