बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने उच्च शिक्षा विभाग में कार्यरत लगभग 15000 अधिकारियों और प्राध्यापकों की याचिका पर फैसला सुनाते हुए पुनरीक्षित वेतनमान की बकाया राशि का 50 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारियों को लौटाने का आदेश दिया है। इस निर्णय के तहत छत्तीसगढ़ शासन को चार सप्ताह के भीतर यह राशि अदा करने का निर्देश दिया गया है। यह राशि 152 करोड़ से अधिक है।
यह मामला तब उठा जब छत्तीसगढ़ शासन ने 1 जनवरी 2016 से पुनरीक्षित वेतनमान तो स्वीकृत किया, लेकिन बकाया राशि का केवल 50 प्रतिशत ही वितरित किया। बाकी की 50 प्रतिशत राशि को डिपॉजिट में जमा कर लिया गया था। इस निर्णय से असंतुष्ट होकर ललित प्रसाद वर्मा, श्रीमती राजेश चतुर्वेदी और अन्य कर्मचारियों ने अधिवक्ता दीपाली पांडे के माध्यम से न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
याचिका में तर्क दिया गया कि केंद्रीय शासन के अंशदान की प्रतिपूर्ति नियम के अनुसार, छत्तीसगढ़ शासन को पहले कर्मचारियों को पूरी राशि देनी चाहिए थी और फिर बिल प्रस्तुत कर केंद्र से राशि की प्रतिपूर्ति लेनी चाहिए थी। शासन ने ऐसा नहीं किया, जिससे केंद्र को बिल नहीं मिल सका और 2022 में स्कीम समाप्त हो गई।
न्यायालय ने इस स्थिति का संज्ञान लेते हुए आदेश दिया कि छत्तीसगढ़ शासन 152 करोड़ 52 लाख 87 हजार 21 रुपये की राशि स्वीकृत करे और चार माह के भीतर सभी पात्र कर्मचारियों को यह राशि प्रदान की जाए।