सबका साथ छूट जाये पर संगीत का साथ नहीं छूटता-शैलेष पांडेय
बिलासपुर। रविवार की शाम लखीराम अग्रवाल स्मृति ऑडिटोरियम मुकेश के युगल गीतों से झूम उठा। उनकी सदाबहार गीतों का रसास्वादन खचाखच भरा हॉल तीन घंटों तक करता रहा। विधायक शैलेष पांडेय भी मंत्र मुग्ध हुए और कहा कि कोई साथ हो न हो, संगीत अपने अकेलेपन का साथी होता है।
मौका था, “द दुआबाबा शो” का। पत्रकारिता के पेशे से जुड़े 60 वर्षीय राजेश दुआ मुकेश के मुरीद हैं और उनके गीतों को साधने के लिए उन्होंने बड़ा परिश्रम किया है। वे छुट-पुट कार्यक्रमों में मुकेश के गीतों को गाते हुए बड़ी तारीफ़े हासिल कर चुके हैं। विचार मंच सरगम की ओर से सीएमडी कॉलेज स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स ऑडिटोरियम में तक़रीबन दो साल पहले उन्होंने अपनी इस प्रतिभा का पहली बार सार्वजनिक प्रदर्शन किया था। हालांकि वे अपने करीबियों के बीच सदैव मुकेश को जीते रहे हैं।
यह दूसरा मौका था जब उन्होंने मुकेश के गीतों का संसार रचा। उनके मित्र वी. रामाराव की उभरती हुई और शास्त्रीय संगीत का कोलकाता में विश्वस्तरीय प्रशिक्षण ले रही 17 वर्षीय पुत्री श्रुति ने मुकेश के युगल गीतों में शामिल महिला स्वरों को बारीकी से साधा । संगीत प्रेमी, राग व धुनों के जानकार पेशे से मोटिवेटर और शिक्षा जगत के प्रभावी वक्ता विवेक जोगलेकर ने 1950 से 1970 के दशक के 21 गीतों की श्रृंखला के हर एक चरण पर सामयिक संदर्भों को संचालन के दौरान रखा। उन्होंने बताया कि दूसरे गायक कलाकारों ने हजारों गीत गाये हैं, पर मुकेश ने सिर्फ 840 गीत हिन्दी में गाये पर पांच दशक पुराने गीतों की बदौलत वे करोड़ों दिलों पर आज राज करते हैं। यह मुकेश के सिर्फ रोमांटिक गीतों का कार्यक्रम था, जिसे ‘इब्तिदा-ए-इश्क’ नाम दिया गया।
शहर विधायक शैलेष पांडेय कार्यक्रम के बीच में उद्बोधन के लिए मंच पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि जीवन में हर किसी का, यहां तक कि घर-परिवार का साथ भी छूट जाता है, पर संगीत आखिरी तक हमारे साथ होता है। यह जीने के लिए ऊर्जा देने का माध्यम है। उन्होंने कहा कि श्रोता इनमें से कोई एक गीत घर जाकर जरूर गुनगुनाएं, माहौल खुशनुमा हो जायेगा।
बिलासपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष तिलक राज सलूजा, सचिव वीरेन्द्र गहवई इस कार्यक्रम के सूत्र रहे। अतिथि सत्कार का दायित्व ताहा काम्पलेक्स, व्यापार विहार के रेस्टोरेंट श्री वारी ने निभाया।