बिलासपुर। आगामी 8 मार्च 2025 को आयोजित होने वाली वर्ष 2025 की पहली नेशनल लोक अदालत की तैयारियों को लेकर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधिपति एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने की। इस अवसर पर न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल (कार्यपालक अध्यक्ष, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण) और न्यायमूर्ति नरेश कुमार चंद्रवंशी (अध्यक्ष, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति) विशेष रूप से उपस्थित रहे।

बैठक में प्रदेश के सभी जिलों के प्रधान जिला न्यायाधीश, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं सचिव, फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश, स्थायी लोक अदालतों के अध्यक्ष, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और श्रम न्यायालयों के न्यायाधीशों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लिया।

न्यायालयों में लंबित मामलों को कम करने पर जोर

बैठक को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधिपति न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने कहा कि न्यायालयों में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, लोक अदालतों में राजीनामा योग्य प्रकरणों का विधि सम्मत निराकरण करना आवश्यक है। इससे न केवल मामलों का शीघ्र निपटारा होगा, बल्कि पक्षकारों को भी आपसी सहमति से त्वरित न्याय मिल सकेगा।

उन्होंने कहा कि लोक अदालतों के माध्यम से निराकृत मामलों से दोनों पक्षों को लाभ मिलता है और न्यायालयों पर लंबित मामलों का बोझ भी कम होता है। इससे न्यायाधीश अन्य लंबित प्रकरणों को हल करने के लिए अधिक समय दे पाते हैं।

नेशनल लोक अदालत में अधिकतम मामलों के निपटारे पर जोर

मुख्य न्यायाधिपति ने निर्देश दिया कि 8 मार्च को आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत में अधिक से अधिक सिविल, आपराधिक एवं अन्य मामलों को चिन्हांकित कर विधिवत निराकरण किया जाए। पक्षकारों की सहमति से मामलों को सुलझाने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताई गई।

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA), नई दिल्ली के निर्देशानुसार इस लोक अदालत का आयोजन उच्च न्यायालय से लेकर तहसील एवं राजस्व न्यायालयों तक किया जाएगा। अब तक छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 11,45,874 प्री-लिटिगेशन मामले और 66,811 न्यायालयों में लंबित प्रकरणों सहित कुल 12,12,685 मामलों को चिन्हांकित किया जा चुका है, जिन्हें लोक अदालत में राजीनामे के लिए रखा जाएगा।

छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अनुसार, इस लोक अदालत के माध्यम से बड़ी संख्या में मामलों के समाधान की उम्मीद है, जिससे आम जनता को शीघ्र एवं सुलभ न्याय मिल सकेगा।

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