बिलासपुर। मदकू द्वीप को इको-टूरिज्म हब के रूप में विकसित करने की दिशा में प्रक्रिया तेज हो गई है। वन मंडल अधिकारी (डीएफओ) मुंगेली ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया कि विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए निविदा 25 सितंबर को जेम पोर्टल के माध्यम से जारी कर दी गई है।
यह कदम हाईकोर्ट के 26 अगस्त 2025 के आदेश के अनुपालन में उठाया गया है।

परियोजना रिपोर्ट को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया पूरी

डीएफओ मुंगेली की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया कि डीपीआर के विस्तृत दस्तावेज को अंतिम रूप दे दिया गया है। इस दौरान वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने 23 जुलाई को मदकू द्वीप का दौरा किया था, ताकि पारिस्थितिकी पर्यटन की व्यवहार्यता और पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन किया जा सके।
विभाग का उद्देश्य है कि द्वीप क्षेत्र की वनस्पति, जीव-जंतुओं और जैव विविधता को क्षति पहुंचाए बिना सतत विकास सुनिश्चित किया जाए।

तकनीकी टीम ने किया स्थल निरीक्षण

हलफनामे में यह भी बताया गया कि तकनीकी सलाहकारों की एक टीम ने जैव विविधता और कार्यक्षेत्र का विस्तृत सर्वेक्षण किया है। इस सर्वे के आधार पर ही इको-टूरिज्म परियोजना के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है।

स्थानीय हितधारकों के साथ सहमति से बनेगी समिति

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में दायर शपथपत्र के अनुसार, स्थानीय हितधारकों और मंदिर प्रबंधन समिति के साथ चर्चा के बाद मदकू द्वीप में स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक समिति गठित करने पर सहमति बनी है।
हाईकोर्ट ने कहा कि मुंगेली वनमंडल अधिकारी द्वारा इको-टूरिज्म विकास की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं।

प्रगति पर रहेगी सतत निगरानी

वन विभाग ने बताया कि डीएफओ मुंगेली डीपीआर की प्रगति की नियमित निगरानी करेंगे और जैव विविधता संरक्षण से जुड़ी सभी सिफारिशों का पालन सुनिश्चित करेंगे।
स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन समिति प्रत्येक माह प्रगति रिपोर्ट डीएफओ को सौंपेगी, जिसे अगली सुनवाई में हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

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