हाई कोर्ट ने कहा- डीजे से दिल और लेज़र लाइट से आंखों को खतरा, अगली सुनवाई 18 अगस्त को
बिलासपुर। राज्य में जगह-जगह बढ़ते ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) को लेकर हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया कि ध्वनि नियंत्रण से जुड़े पुराने कानून अब मौजूदा हालातों के लिए पर्याप्त नहीं हैं, इसलिए कोलाहल नियंत्रण अधिनियम (Noise Control Act) में बदलाव की जरूरत है।
सरकार की ओर से पेश शपथपत्र में कहा गया कि फिलहाल जो जुर्माना और सजा के प्रावधान हैं, वे काफी हल्के हैं, इसलिए नया ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है, जिसे विधानसभा में पेश कर कानून का रूप दिया जाएगा।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और उनकी डिवीजन बेंच ने कहा कि कानून बनाने में वक्त लग सकता है, लेकिन तब तक सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे। कोर्ट ने कहा कि डीजे से हार्ट को नुकसान और लेज़र व बीम लाइट से आंखों को खतरा है, इस पर सख्ती जरूरी है।
याचिका में कड़े प्रावधान की मांग
इस जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि ध्वनि प्रदूषण नियमों को और सख्त किया जाए और मौजूदा कानून को अनुपयोगी घोषित किया जाए। याचिकाकर्ता का कहना है कि ध्वनि प्रदूषण फैलाने वालों पर बस 500 से 1000 रुपए का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाता है, ना कोई सामान जब्त होता है, ना ही सख्त कार्रवाई होती है।
पुलिस कार्रवाई पर उठे सवाल
सुनवाई के दौरान दो हस्तक्षेप आवेदनों में यह बात सामने आई कि 112 नंबर पर शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पर महाधिवक्ता ने सरकार की ओर से की गई कार्रवाई की जानकारी दी और कहा कि डीजे और वाहन पर लगे तेज आवाज वाले साउंड सिस्टम और लेज़र लाइट पर पहले से रोक है, उल्लंघन पर जुर्माना लगाया जा रहा है।
अब अगली सुनवाई 18 अगस्त को
कोर्ट ने कहा कि सरकार जो भी कानून में बदलाव कर रही है, उसकी अब तक की प्रगति की जानकारी अगली सुनवाई 18 अगस्त को पेश करनी होगी। साथ ही, ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए अंतरिम तौर पर भी सख्ती बरतने के निर्देश दिए।