बिलासपुर। मंगला चौक में बिल्डिंग ढहने के मामले में पीड़ित दुकान संचालक को विधायक शैलेष पांडेय व अन्य जनप्रतिनिधियों के दबाव के बाद 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है, साथ ही कमिश्नर ने तीन दिन के भीतर मामले की जांच रिपोर्ट मांगी है। महापौर रामशरण यादव ने इस मामले में अफसरों की मनमानी पर लाचारी जाहिर की है।
शनिवार की सुबह मंगला चौक स्थित एक तीन मंजिला बिल्डिंग ढह गई थी। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत यहां एक नाली बनाई जा रही है, जिसके लिए बेतरतीब तरीके से की जा रही खुदाई के कारण यह घटना हुई। यह बिल्डिंग राहुल गुप्ता की है जिसमें उनके मेडिकल स्टोर सहित एक ज्वेलरी की दुकान संचालित थी। घटना के वक्त दुकानें बंद थी, जिसकी वजह से कोई जनहानि नहीं हुई। शनिवार को दिन भर इस मुद्दे पर आक्रोशित नागरिक और व्यापारी संगठन वहां डटे रहे। इस बीच विधायक शैलेष पांडेय, पूर्व विधायक राजेश पांडे आदि ने दुकान के मालिक को हुए नुकसान की भरपाई के लिए कमिश्नर कुणाल दुदावत से बात की। उन्होंने 5 लाख रुपये मुआवजा ठेकेदार की ओर दिलाने का प्रस्ताव रखा, जिससे व्यवसायी नाराज हो गए। आखिरकार 10 लाख रुपये दुकान संचालक का तात्कालिक मुआवजा देने पर सहमति बनी। विधायक पांडेय के हाथों से यह राशि दुकान संचालक को प्रदान की गई।
दुकान संचालक राहुल गुप्ता के पिता की कोरोना काल में मृत्यु हो गई थी। ये दोनों दुकानें उनके जीवन-यापन का एकमात्र सहारा था।
कमिश्नर दुदावत ने एक जांच टीम बनाई है, जो तीन दिन के भीतर इस दुर्घटना के कारणों की जानकारी देगी। नगर निगम के इंजीनियर यह कहकर अपना बचाव करने की कोशिश कर रहे हैं कि मकान में पिलर की गहराई कम रखी गई थी, इसके कारण नाली खुदाई के दौरान वह ढह गई, जबकि ज्यादा गहराई तक खुदाई करते देख दुकान संचालक ने उन्हें काम करने से मना किया था।
महापौर रामशरण यादव ने इस मामले में कहा कि स्मार्ट सिटी परियोजना के कामकाज में न तो विधायक, न ही महापौर या पार्षद बल्कि किसी भी जन-प्रतिनिधि का कोई दखल है। अधिकारी अपनी मनमानी कर रहे हैं। उनके द्वारा किये जा रहे किसी भी निर्माण कार्य के चलते हो रही दुर्घटना और गुणवत्ता के लिए कोई निर्वाचित जन-प्रतिनिधि जिम्मेदार नहीं है।