हेल्पलाइन नंबर पर 100 से ज्यादा अभिभावकों ने अपने बच्चों का ब्यौरा दर्ज कराया 

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल के बाद राजस्थान के कोटा में फंसे बच्चों के अभिभावकों को उम्मीद जागी है कि अब जल्दी ही उनकी घर वापसी का रास्ता खुल जायेगा। जिला प्रशासन के पास बिलासपुर शहर और जिले के अन्य स्थानों से करीब 100 बच्चों के बारे में पूरी जानकारी आ चुकी है। स्थिति यह है कि कुछ दूसरे राज्यों के अभिभावक भी जिला प्रशासन के हेल्प लाइन पर फोन कर मदद मांग रहे हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 18 अप्रैल को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से चर्चा कर कोटा में कोचिंग के लिए गये उन बच्चों का ध्यान रखने का अनुरोध किया था जो लॉकडाउन के कारण वहीं फंस गये हैं और वापस अपने घर नहीं लौट पाये हैं। हालांकि राजस्थान सरकार की अनुमति मिलने के बाद ऐसे 15 बच्चों को वहां से भेजा जा चुका है जो निकटवर्ती गौरेला जिला मुख्यालय में इन दिनों क्वारांटाइन पर रखे गये हैं। मुख्यमंत्री बघेल की पहल के बाद राजस्थान सरकार ने कोटा के जिला दंडाधिकारी को छत्तीसगढ़ के बच्चों के स्वास्थ्य, भोजन, आवास व सुरक्षा का ध्यान रखने का निर्देश दिया है और कोटा जिला प्रशासन का हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है।

हालांकि छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से ऐसी कोई अधिकारिक घोषणा नहीं की गई है जिसमें उन्होंने कोटा के बच्चों को वापस लाने का कोई आश्वासन दिया हो लेकिन यह माना जा रहा है कि उत्तरप्रदेश ने जिस तरह बच्चों को वापस लाया है छत्तीसगढ़ सरकार भी ऐसा करेगी।

कलेक्टर डॉ. संजय अलंग ने कोटा में फंसे छात्रों की मदद के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को तीन मोबाइल नंबर जारी किये हैं। एक नंबर जिला शिक्षा अधिकारी का है तथा दो अन्य नंबर उसी विभाग के अन्य अधिकारियों का है। इन नंबरों पर बिलासपुर शहर के अलावा आसपास के गांवों, कस्बों से सौ से अधिक अभिभावकों ने फोन करके अपने बच्चों के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध करा दी है। अभी 20-25 छात्रों की सूचना और आने की संभावना बताई जा रही है। इन सभी का ब्यौरा राज्य कार्यालय में भेजा जा रहा है जहां से कोटा जिला प्रशासन को सूची दी जा रही है। इन छात्रों को अपनी बारे में पूरी जानकारी जैसे, जिले में उनका निवास किस स्थान पर है और कोटा (राजस्थान) में इस समय वे किस छात्रावास या पीजी पर रुके हैं। अपना पता, मोबाइल नंबर अपने अभिभावक का पता एवं मोबाइल नंबर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में  मोबाइल नंबर 9009154698, 9425219584 या 9727460674 पर सम्पर्क कर देनी होगी। इन नंबरों पर बिलासपुर जिले के छात्रों के अभिभावक भी अपनी समस्या से अवगत करा सकते हैं। आपात स्थिति में जिला प्रशासन द्वारा कोटा राजस्थान के जिला प्रशासन से सीधे सम्पर्क कर छात्रों को सहायता उपलब्ध कराई जायेगी।

दरअसल, कोचिंग के लिए कोटा गये अधिकांश बच्चे ऐसे सक्षम और मध्यमवर्गीय परिवारों से हैं जिन्हें भोजन, आवास आदि की समस्या नहीं है पर चूंकि क्लासेस बंद हैं और लॉकडाउन के कारण आवास से निकलने की अनुमति नहीं है इसलिये वे होम-सिकनेस और अवसाद से ग्रस्त हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में प्रत्येक अभिभावकों ने मदद के नाम पर सिर्फ यही अपील की है कि उनके बच्चों की किसी तरह वापसी की व्यवस्था की जाये, क्योंकि लॉकडाउन खुलने के बाद भी रेल परिवहन व सार्वजनिक यातायात तुरंत शुरू होने की संभावना नहीं है। इसके अलावा कोचिंग क्लासेस भी जून के बाद ही शुरू हो पायेगी, ऐसा अनुमान है। अधिकांश कोचिंग सेंटर्स ने प्रतियोगी छात्रों की पढ़ाई ऑनलाइन शुरू करा दी है। उन्हें यदि घर भेजा जाता है तो वे यह पढ़ाई घर पर भी रहकर ठीक तरह से कर सकते हैं।

दिलचस्प बात यह सामने आई है कि बिलासपुर जिले के बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए जारी किये गये हेल्पलाइन नंबरों पर दूसरे राज्यों से भी अभिभावकों के फोन आ रहे हैं और वे अपने बच्चों को घर भिजवाने में मदद करने का अनुरोध कर रहे हैं। उन्हें अपने राज्य के कोरोना हेल्प सेंटर्स से ही सम्पर्क करने की सलाह दी जा रही है।

विधायक और कांग्रेस नेता भी सामने आये

कोटा में फंसे बच्चों की मदद के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा पहल के बाद अब स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने भी पहल शुरू कर दी है। विधायक शैलेष पांडेय ने अभिभावकों से अनुरोध किया है कि वे जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के नंबर पर अपना व अपने बच्चों का ब्यौरा दर्ज करायें और हो सकें तो उनको भी इसकी जानकारी दें ताकि कोटा में रुके बच्चों को जरूरी सहायता मुहैया कराई जा सके। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रमोद नायक व प्रदेश उपाध्यक्ष अटल श्रीवास्तव ने भी बिलासपुर के अलावा कोटा, रतनपुर, तखतपुर, बिल्हा, मस्तूरी आदि के 80 से अधिक बच्चों की सूची जिला प्रशासन को सौंपा है और दावा किया है कि इन बच्चों को शीघ्र वापस छत्तीसगढ़ लाया जायेगा।

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