डाक मतपत्र का लाभ पाने के लिए उपयुक्त प्रमाण पत्र या आयु 85 वर्ष से अधिक होना जरूरी
बिलासपुर। सुप्रीम कोर्ट ने बिस्तर पर स्वास्थ्य लाभ ले रहीं बिलासपुर की 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला सरला श्रीवास्तव को डाक मतपत्र से मतदान की मांग करने वाली याचिका पर दिए गए हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ की गई अपील को खारिज कर दिया।
सर्वोच्च न्यायालय की अवकाश पीठ का नेतृत्व कर रहीं जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने डाक मतपत्र के माध्यम से अपने संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करने की याचिका 20 मई को खारिज करते हुए मौखिक रूप से टिप्पणी की कि ऐसे में हर कोई घर पर बैठकर अपना वोट डालना चाहेगा। पीठ में जस्टिस पंकज मित्तल भी शामिल थे।
वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल व अधिवक्ता प्रणव सचदेव ने याचिकाकर्ता का पक्ष रखते हुए शीर्ष कोर्ट को बताया कि वह दोनों घुटनों में गंभीर ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित हैं और पिछले तीन महीनों से बिस्तर पर हैं। वह लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर निर्वाचन क्षेत्र से डाक मतपत्र से मतदान करना चाहती थीं।
बिलासपुर निर्वाचन क्षेत्र में 7 मई को मतदान हुआ था। हालांकि यह पोस्टल बैलेट नहीं, बल्कि ईवीएम से मतदान की तारीख थी। इसके अलावा चुनाव आयोग के पास हमेशा “किसी भी पर्याप्त कारण” के लिए नई मतदान तिथियों की घोषणा करने की शक्ति है।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा 6 मई को एक आदेश में डाक मतपत्र के माध्यम से मतदान करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि चुनाव 7 मई को है। चुनाव आयोग को कुछ भी निर्देश देने के लिए अब बहुत देर हो चुकी है।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि वह भारत का नागरिक है; उसका नाम मतदाता सूची में मौजूद है। उसे अपना वोट डालने का अधिकार है और वह चलने में असमर्थ है। इस संबंध में एक चिकित्सक द्वारा उसके पक्ष में एक चिकित्सा प्रमाण पत्र जारी किया गया है। याचिकाकर्ता आगामी चुनाव में अपना वोट डालने के लिए अपने संवैधानिक अधिकार या दूसरे शब्दों में राजनीतिक मताधिकार का प्रयोग करना चाहता है।
सुनवाई करते हुए अवकाश पीठ ने 1 मई के रिटर्निंग ऑफिसर के एक आदेश का हवाला दिया। इस आदेश में कहा गया कि याचिकाकर्ता श्रीवास्तव 75 वर्ष की हैं। चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार ‘वरिष्ठ नागरिक श्रेणी के तहत अनुपस्थित मतदाता’ के लिए निर्धारित आयु 85 वर्ष है।इसके अलावा श्रीवास्तव को न तो मतदाता सूची के डेटाबेस में विकलांग मतदाता के रूप में चिह्नित किया गया है और न ही उन्होंने विकलांग व्यक्तियों के अधिकार नियम 2023 के तहत जारी “बेंचमार्क विकलांगता प्रमाण-पत्र” जमा किया है। इसलिए, उनके आवेदन पर ‘विकलांग व्यक्तियों के अंतर्गत अनुपस्थित मतदाता’ श्रेणी के अंतर्गत विचार नहीं किया जा सकता।
इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने कोविड-19 से प्रभावित होने के संबंध में कोई स्वास्थ्य प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया और न ही वह डाक मतपत्र सुविधा की आवश्यकता वाली आवश्यक सेवा श्रेणी में कार्यरत थीं।
ज्ञात हो कि उक्त प्रकरण में याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता व बिलासपुर लोकसभा सीट से हमर राज पार्टी के उम्मीदवार सुदीप श्रीवास्तव की मां हैं।