बिलासपुर। पुलिस ने चिटफंड कंपनी बनाकर लगभग 10 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने वाले मुख्य आरोपी अरुण कुमार वर्मा को गिरफ्तार कर लिया है। अरुण वर्मा पिछले छह साल से फरार था। उसे भोपाल से गिरफ्तार किया गया। वह डिंडोरी, मंडला, बालाघाट, सागर, इंदौर और वर्तमान में अलवर, राजस्थान में छिपा हुआ था, जबकि उसका परिवार भोपाल में रह रहा था।
पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह के निर्देशन में बिलासपुर पुलिस ने यह सफलता हासिल की। अरुण वर्मा, उम्र 34 वर्ष, ग्राम टुंड्री, थाना बिलाईगढ़, जिला सारंगढ़ बिलाईगढ़ का निवासी है। वह आयकर कॉलोनी, भोपाल में रह रहा था। वर्मा ने “कैरियर ड्रीम एजुकेशनल एकेडमी” नामक चिटफंड कंपनी बनाकर लगभग 10 करोड़ रुपये की ठगी की थी। उसने निवेशकों को ज्यादा मुनाफा देने का लालच देकर उनसे पैसे ऐंठे थे।
छह सालों से फरार था आरोपी आरोपी अरुण कुमार वर्मा ने चिटफंड कंपनी बनाकर लगभग 10 करोड़ रुपये की ठगी की थी। वह निवेशकों को ज्यादा मुनाफा देने का लालच देकर उनसे पैसे ऐंठता था। उसके खिलाफ बिलासपुर जिले में 7 और सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले में 1 मामला दर्ज है। वह पिछले छह वर्षों से फरार था और डिंडोरी, मंडला, बालाघाट, सागर, इंदौर में लगातार ठिकाने बदल रहा था। वर्तमान में वह अलवर, राजस्थान में छिपा हुआ था और उसका परिवार भोपाल में रह रहा था।
ठगी का तरीका अरुण कुमार वर्मा ने “कैरियर ड्रीम एजुकेशनल एकेडमी” के माध्यम से निवेशकों को ज्यादा मुनाफा देने का वादा किया और उनसे करोड़ों रुपये की ठगी की।
पुलिस की कार्रवाई पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह के निर्देशन में, चिटफंड मामलों की नोडल अधिकारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) अर्चना झा की देखरेख में एक विशेष टीम का गठन किया गया। नगर पुलिस अधीक्षक सरकंडा सिद्धार्थ बघेल के पर्यवेक्षण में और थाना प्रभारी सरकंडा निरीक्षक तोप सिंह नवरंग के नेतृत्व में टीम ने आरोपी के बारे में जानकारी एकत्रित की। तकनीकी विश्लेषण से पता चला कि आरोपी अलवर, राजस्थान में छिपा हुआ था और उसका परिवार भोपाल में था। पुलिस टीम ने भोपाल जाकर आरोपी को गिरफ्तार किया।
पूछताछ में हुआ खुलासा पूछताछ के दौरान अरुण कुमार वर्मा ने बताया कि वह अपने खिलाफ मामले दर्ज होने के बाद डिंडोरी, मंडला, बालाघाट, सागर और इंदौर में छिपकर रह रहा था। इसके बाद वह नौकरी करने के लिए अलवर, राजस्थान चला गया और अपनी पत्नी को भोपाल में किराए के मकान में छोड़ दिया था। उसने छिपने का आइडिया फिल्मों से सीखा था।
कानूनी प्रक्रिया प्रकरण के अन्य आरोपी प्रदीप चंद्राकर और सतानंद चंद्राकर के खिलाफ पहले ही कानूनी कार्रवाई कर प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत किया जा चुका है। अरुण कुमार वर्मा के फरार रहने के कारण बिलासपुर जिले के सभी 7 प्रकरणों में उसके खिलाफ स्थाई वारंट जारी किया गया था।
प्रकरणों का विवरण
- थाना सरकंडा: चार मामले दर्ज हैं।
- डॉक्टर संजय बंजारे की शिकायत पर दर्ज मामला (2018) – 39 लाख रुपये की ठगी।
- विजेंद्र कुमार खांडेकर की शिकायत पर दर्ज मामला (2018) – 6.96 लाख रुपये की ठगी।
- डॉक्टर व्यास नारायण कश्यप की शिकायत पर दर्ज मामला (2018) – 1.5 लाख रुपये की ठगी।
- अभय राव फांसे की शिकायत पर दर्ज मामला (2019) – 15.5 लाख रुपये की ठगी।
- थाना कोतवाली: दो मामले दर्ज हैं।
- चंद्र मनी सिंह ठाकुर की शिकायत पर दर्ज मामला (2018) – 3 लाख रुपये की ठगी।
- राजेश कुमार राठौर की शिकायत पर दर्ज मामला (2018) – 2 लाख रुपये की ठगी।
- थाना कोनी: एक मामला दर्ज है।
- अजय कुमार ध्रुव की शिकायत पर दर्ज मामला (2018) – 2 लाख रुपये की ठगी।
- थाना बिलाईगढ़: एक मामला दर्ज है।
- किरण साहू की शिकायत पर दर्ज मामला (2019) – एलोवीरा की खेती करने के नाम पर 200 किसानों से 8 करोड़ रुपये की ठगी।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि चिटफंड संबंधी लंबित प्रकरणों में फरार आरोपियों को गिरफ्तार करने और उनकी संपत्ति को चिन्हित कर कुर्क करने की दिशा में पुलिस कार्य कर रही है।