बिलासपुर। अपोलो हास्पिटल के डॉक्टरों की टीम ने एक जटिल ऑपरेशन कर एक साल के बच्चे के फेफड़े में फंसे हेयर पिन को बाहर निकाल लेने में सफलता हासिल की है।
लगभग एक माह पूर्व ग्राम सोरियाकला, भटगांव निवासी चंद्रिका बाई के एक साल के पुत्र ने दो इंच लम्बी हेयर पिन निगल ली थी, जो कि श्वास नली से होते हुए बायें फेफडे के निचले हिस्से तक पहुंच गई। पिन बायें फेफडे़ के निचले हिस्से में होने के कारण व दायें फेफड़े की सहायता से बच्व्चे को सांस लेने में दिक्कत नही हो रही थी परन्तु कुछ समय बाद फेफड़े में फंसी पिन के आसपास घाव बनना शुरू हुआ। साथ ही बच्चे को खांसी व बुखार की शिकायत होने लगी। कई जगह इलाज कराने पर भी कोई फायदा नहीं मिलने पर बच्चे की मां ने अपने भाई की सहायता से अपोलो हॉस्पिटल बिलासपुर में डॉ. पी. पी मिश्रा, वरिष्ठ सलाहकार नाक कान गला विभाग सें संपर्क किया। डॉ. मिश्रा ने बच्चे को देखते ही छाती का एक्स-रे व सी टी स्कैन कराने की सलाह दी। रिपोर्ट में पाया गया कि पिन के चारों ओर घाव बन चुका है व मांस जम चुका है। पिन की सही स्थिति का निर्धारण होने के उपरांत डॉ. मिश्रा नें वरिष्ठ निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. रसिका कानस्कर व डॉ विनीत श्रीवास्तव के साथ सलाह कर इसे निकालने की प्रक्रिया आरंभ की।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि सामान्यतः ऐसे ऑपरेशन में टेलेस्कोप के साथ ऑक्सीजन ट्यूब डाली जाती है जिससे मरीज की सांस निरंतर चलती रहे, परन्तु एक साल के शिशु की श्वास नली पतली होने के कारण यह काफी कठिन था। इस कठिनाई को देखते हुये डॉ मिश्रा नें सी आर्म ; चलित एक्सरे की सहायता से पिन को निकालने का निर्णय लिया। संपूर्ण चिकित्सकीय सुरक्षा के साथ इस प्रक्रिया में बच्चे को श्वास देते हुये पिन को निकालने में एक और समस्या थी कि पिन का खुला हुआ हिस्सा उपर की ओर था जो कि उसे निकालने की प्रक्रिया में आसपास के टिश्यू व फेफड़े को नुकसान पहुंचा सकता था, अतः सी आर्म में देखते हुये बच्चे को श्वास देने के बहुत छोटे छोटे अंतराल में पिन को सावधानी से निकाला गया जिसमें दो से ढाई घंटे का समय लगा।
डॉ मिश्रा नें बताया कि स्थिति इतनी जटिल थी कि पिन को छूने मात्र से घाव से खून निकलना शुरू हो जाता था जो कि आगे निमोनिया आदि का कारण हो सकता था।
डॉ इंदिरा मिश्रा, वरिष्ठ सलाहकार शिशु रोग ने बताया कि 3 साल से छोटे बच्चों में एक तरह की आदत होती है के वो अपने आसपास की चीजों को मुंह में डाल लेते हैं। अतः ऐसी चीजों को बच्चों की पहुंच से दूर रखना चाहिये।
डॉ. सजल सेन सी ओ ओ अपोलो हॉस्पिटल बिलासपुर नें कहा कि वर्तमान में एकल परिवारों में जहां माता पतिा दोनों ही कामकाजी हैं, घटना होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है अतः माता पिता को इस ओर अत्यधिक सावधान रहने की आवश्यकता है।