दस दिन पहले एक और तेंदुए की जहर देकर ली गई थी जान
बिलासपुर। भीषण गर्मी वन्य प्राणियों के लिए भी जी का जंजाल बन गया है। कटघोरा वन मंडल में एक तेंदुए को निढाल अवस्था में रेस्क्यू किया गया था और उसे वहीं इलाज के जरिये स्वस्थ करने की कोशिश की जा रही थी। तबीयत नहीं सुधरने पर कानन पेंडारी लाया गया, जहां इलाज के दौरान सोमवार को उसकी मौत हो गई। दस दिन पहले ही कटघोरा मंडल में एक तेंदुए को शिकारियों ने जहर देकर मार डाला था।
कटघोरा के कोनकोना गांव में जब उक्त तेंदुआ रविवार को सुस्त अवस्था में दिखा तो वन अधिकारियों के निर्देश पर उसे पहले ट्रेंक्यूलाइजर देकर रेस्क्यू किया गया। कानन पेंडारी से चिकित्सकों की एक टीम वहां पहुंची। जांच करने पर मालूम हुआ कि उसे 108 डिग्री का बुखार है। गांव में ही कैंप लगाकर तेंदुए का इलाज शुरू किया गया। तबीयत में सुधार नहीं होने पर उसे रविवार को देर रात बिलासपुर स्थित कानन पेंडारी जू में लाया गया। सोमवार को इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।
कटघोरा वन मंडल के डीएफओ कुमार निशांत ने दावा किया है कि जंगल मे इस समय पानी की कमी नहीं है। जहां पर तेंदुआ पाया गया था वहां पर भी डबरी है जिसमें पर्याप्त पानी था। उसे बुखार लू लगने के कारण हुआ होगा।
ज्ञात हो कि बीते 17 मई को एक तेंदुए का शव कटघोरा रेंज में ही क्षत विक्षत हालत में मिला था। इस मामले में तीन आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। उन्होंने अपने बछड़े की मौत का बदला लेने के लिए जहर देकर तेंदुए को मार डाला था और उसके अंगों को काट दिया था।