बिलासपुर। डीपी विप्र कॉलेज को यूजीसी द्वारा ऑटोनॉमस कॉलेज का दर्जा मिलने के बावजूद, अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (अटल यूनिवर्सिटी) ने इसे लेकर नोटिफिकेशन जारी करने से मना कर दिया है। इस विवाद को लेकर कॉलेज ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसके जवाब में मंगलवार को अटल यूनिवर्सिटी ने कॉलेज की विभिन्न कमियों को उजागर किया है।
हाई कोर्ट में जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने अटल यूनिवर्सिटी से कॉलेज को ऑटोनॉमस का दर्जा नहीं देने का कारण पूछा था। यूनिवर्सिटी ने अपने जवाब में कहा कि कि कॉलेज में नियमित प्राचार्य और प्रोफेसरों की कमी है। महज 35 शिक्षक हैं, जबकि छात्रों की संख्या के अनुसार करीब 200 शिक्षक होने चाहिए। इसके अलावा, बीबीए का कोर्स बिना मान्यता के चलाया जा रहा है। इन कमियों के बावजूद, यूजीसी ने निरीक्षण किए बिना ही कॉलेज को ऑटोनॉमस घोषित कर दिया।
अटल यूनिवर्सिटी और डीपी विप्र कॉलेज के बीच चल रहे इस विवाद का खामियाजा यहां प्रवेश लेने वाले छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। पहले सेमेस्टर के छात्र असमंजस में हैं कि वे ऑटोनॉमस कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं या सामान्य कॉलेज में। इस बीच, डीपी विप्र कॉलेज ने ऑटोनॉमस स्टेटस के अनुसार बोर्ड ऑफ स्टडी का गठन कर नया सिलेबस तैयार कर लिया है और गोपनीय व परीक्षा विभाग भी स्थापित कर लिया है।
डीपी विप्र कॉलेज का कहना है कि यूजीसी से ऑटोनॉमस का दर्जा मिलने के बाद अटल यूनिवर्सिटी को नोटिफिकेशन रोकने का अधिकार नहीं है। कॉलेज ने स्वीकार किया कि नैक से उन्हें ए ग्रेड मिला है, लेकिन ए प्लस प्लस नहीं। फिर भी वे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए तत्पर हैं।
कॉलेज के प्रबंधन ने सवाल उठाया कि अटल यूनिवर्सिटी के पास नियमित कुलसचिव भी नहीं है, और वे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों से काम चला रहे हैं। ऐसे में क्या यूनिवर्सिटी को मान्यता नहीं है?