बिलासपुर। सरकंडा के सलामत राय कोडवानी का गुरुवार सुबह स्वर्गवास हो गया। उनके परिवार ने उनकी अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए देहदान का संकल्प पूरा किया। यह कदम समाज में जागरूकता फैलाने और चिकित्सा शिक्षा में सहयोग के लिए किया गया।

मरणोपरांत देहदान का संकल्प

सलामत राय कोडवानी ने कई साल पहले अपने जीवनकाल में देहदान का संकल्प लिया था, ताकि उनकी देह चिकित्सा शिक्षा के लिए काम आ सके। उनके पुत्र हरीश कोडवानी ने इस संकल्प को पूरा करने के लिए हैंड्सग्रुप से संपर्क किया और सामाजिक रस्मों के बाद उनके शव को सिम्स मेडिकल कॉलेज को सौंप दिया गया।

परिवार का योगदान

शुक्रवार को सिम्स मेडिकल कॉलेज में डॉ. शिक्षा जांगड़े के समक्ष देहदान की औपचारिकता पूरी की गई। इस अवसर पर हरीश, मुकेश, हीरालाल कोडवानी, शंकर मनचंदा, मनोहर थवरानी, पार्षद राजेश दूसेजा और हैंड्सग्रुप के संरक्षक अभिषेक विधानी मौजूद थे।

देहदान का महत्व

अभिषेक विधानी ने कहा, “हम मरकर भी समाज को कुछ दे जाएं, इससे बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता। इससे समाज में जागरूकता बढ़ेगी और लोग देहदान के महत्व को समझेंगे।” कोडवानी परिवार ने एक संकल्प का मान रखते हुए समाज में एक आदर्श प्रस्तुत किया है, जो आने वाले समय में अन्य लोगों को भी प्रेरित करेगा। देह दान से मेडिकल छात्रों को नई खोज और सीखने में मदद मिलती है, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण कई जगहों पर देह उपलब्ध नहीं हो पाती। ऐसे में सलामत राय कोडवानी जैसे लोगों की पहल समाज में जागरूकता फैलाने के लिए आवश्यक है।

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