बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एक 18 वर्षीय छात्र, पीयूष गंगवानी ने अपने बल पर अदालत में खड़े होकर पुलिस और जमीन माफिया के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ी। यह छात्र, जिसने अभी 10वीं कक्षा पास की है, चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच के सामने खुद पेश हुआ और बताया कि उसके खिलाफ बालिग होते ही झूठे आपराधिक मामले दर्ज कर दिए गए, जिससे उसकी पढ़ाई और भविष्य पर गहरा असर पड़ा है।

पीयूष, जो बिलासपुर के तोरवा मेन रोड का निवासी है, ने कोर्ट को बताया कि उसके पिता हाई कोर्ट में वकील थे, जिनका निधन हो चुका है। उसने कहा कि उसकी और उसके परिवार की जमीन को लेकर कारोबारी नरेंद्र मोटवानी के साथ विवाद चल रहा है। इस विवाद ने तब गंभीर मोड़ लिया जब मोटवानी ने स्थानीय अपराधी ऋषभ पनीकर के साथ मिलकर पीयूष और उसकी मां को झूठे मामले में फंसा दिया।

पीयूष ने अदालत में बताया कि 20 सितंबर 2022 को, जब वह अपनी मां के साथ स्कूटी में सामान खरीदने जा रहा था, तब मोटवानी और पनीकर ने उनकी गाड़ी रोक ली। उन्होंने उसे और उसकी मां को जबरन कार में बैठाकर अगवा कर लिया और दयालबंद स्थित ऋषभ के ऑफिस में ले गए। वहां, मोटवानी और पनीकर ने उनकी जमीन बेचने के लिए धमकाया और उनके साथ मारपीट की। इस मारपीट का ऑडियो पीयूष ने गुप्त रूप से रिकॉर्ड कर लिया था, जिसे बाद में उसने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने के लिए सबूत के रूप में पेश किया।

पीयूष ने कोर्ट को बताया कि हालांकि पुलिस ने मोटवानी और पनीकर के खिलाफ कार्रवाई की, लेकिन जल्द ही उसके खिलाफ भी आईटी एक्ट और धोखाधड़ी (420) के मामले दर्ज कर दिए। पुलिस ने माफिया के इशारे पर एक ही थाने में एक ही समय पर दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज कीं, जिसमें उसके नाम और उम्र को गलत तरीके से दर्ज किया गया। उसने कहा कि केस दर्ज करते समय उसकी उम्र 17 साल थी, लेकिन दस्तावेजों में उसकी उम्र 18 साल दिखाकर उसे बालिग घोषित कर दिया गया और उसके खिलाफ झूठे मामले बना दिए गए।

पीयूष ने यह भी बताया कि इस पूरे घटनाक्रम के चलते उसकी शिक्षा बाधित हो गई। 10वीं कक्षा पास करने के बाद वह 11वीं में प्रवेश नहीं ले पाया, क्योंकि माफिया और पुलिस के डर से वह खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा था। माफिया के लोग उसे और उसके परिवार को लगातार धमकाते रहते हैं, जिससे वह घर से बाहर रहने को मजबूर है।

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच के सामने पीयूष ने ऑडियो और वीडियो क्लिपिंग्स को सबूत के रूप में पेश किया। उसने कोर्ट से अपील की कि उसके खिलाफ दर्ज झूठे मामलों को खारिज किया जाए और उसे न्याय दिलाया जाए। इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के यूट्यूब चैनल पर भी उपलब्ध है, जिसे कई अलग-अलग प्लेटफार्मों पर साझा किया जा रहा है।

डिवीजन बेंच ने पूरे मामले पर गंभीरता से विचार करते हुए राज्य सरकार को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है।

 

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