औचक निरीक्षण कर बैरकों में बंद महिला, पुरुष बंदियों से की बात, बच्चों की शिक्षा, खेलकूद व स्वास्थ्य सुविधा पर निर्देश
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने बिलासपुर स्थित केन्द्रीय जेल का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने इस दौरान जेल स्थित पुरुष बंदीगृह तथा महिला बंदीगृह दोनों का निरीक्षण किया। वहां उन्होंने बंदियों से बातचीत करते हुए मूलभूत सुविधाओं व व्यवस्था जैसे कि स्वास्थ्य, इलाज, दवाईयां आदि की जानकारी ली। बंदियों से उनको दिये जाने वाले भोजन तथा साफ-सफाई का जानकारी भी प्राप्त की। साथ ही उन्होंने विचाराधीन बंदियों से जानकारी ली कि वे किन-किन अपराधों में बंद हैं। महिला बंदीगृह का भी निरीक्षण किया गया। उन्होंने वहां की साफ-सफाई की प्रशंसा की। बच्चों के साथ जेल में रहने वाली महिला बंदियों की एक सूची बनाने का निर्देश दिया। सीआरपीसी की धारा-432 के संबंध में कार्रवाई हेतु बंदियों की जानकारी भी ली गई। बच्चों के साथ जेल में रहने वाली महिला बंदियों से उनके बच्चों की शिक्षा, खेलकूद व स्वास्थ्य संबंधी उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी ली और उनमें आवश्यक सुधार करने का निर्देश दिया।
जस्टिस सिन्हा ने जेल अधीक्षक से जेल की क्षमता तथा बंदियों की संख्या की जानकारी ली। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय जेल बिलासपुर की क्षमता 2290 बदियों की है। वर्तमान में जेल में बंदियों की कुल संख्या 3153 है। पुरुष बंदियों की संख्या 2946 तथा महिला बंदियों की संख्या 207 है। इस पर जस्टिस ने छोटे अपराधों में बंद विचाराधीन बंदियों की एक सूची बनाने का निर्देश जेल अधीक्षक को दिया। जस्टिस सिन्हा ने जेल में कैदियों को मिलने वाली विधिक सेवा की जानकारी ली तथा बंदियों को विधि का वास्तविक ज्ञान सरल भाषा में देने का निर्देश दिया ताकि भविष्य में उनके जीवन में सुधार आए तथा वे अपराध की ओर अग्रसर नहीं हों।
ज्ञात हो कि चीफ जस्टिस के औचक निरीक्षण का लगातार तीसरा दिन था। इसके पूर्व उन्होंने मुंगेली और जांजगीर-चांपा न्यायालय का निरीक्षण किया। औचक निरीक्षण में उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल अरविन्द कुमार वर्मा, जिला एवं सत्र न्यायाधीश, बिलासपुर अशोक कुमार साहू, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट सौरभ कुमार, पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह एवं एडिशनल रजिस्ट्रार कम प्रिंसिपल प्राईवेट सेकेटरी एन. सुब्रहमण्यम भी शामिल थे। जस्टिस सिन्हा को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में आए मात्र 3 माह हुए हैं। उक्त कार्यकाल में ही वे जिला न्यायालय रायपुर, बिलासपुर, कांकेर, जगदलपुर, दंतेवाड़ा, कोरबा, कटघोरा, मुंगेली व जांजगीर-चांपा का निरीक्षण कर मुलभूत सुविधाओं और सेवाओं को शीघ्र दुरुस्त करने का निर्देश दे चुके हैं।