मुख्यमंत्री ने कहा 2047 तक पूरी तरह समाप्त हो जाएगी बीमारी
रायपुर। विश्व सिकलसेल दिवस पर एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय के लोग सिकलसेल एनीमिया से ज्यादातर पीड़ित हैं। इनके लिए स्वास्थ्य विभाग और आदिम जाति विकास विभाग के सहयोग से जागरूकता शिविर का आयोजन किया जा रहा है। प्रदेश में सिकलसेल के लिए राष्ट्रीय स्तर का रिसर्च सेंटर प्रारंभ करने के लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है ताकि सिकल सेल एनीमिया बीमारी से और बेहतर तरीके से बचाव किया जा सके।
अटल बिहारी वाजपेयी आडिटोरियम, मेडिकल कालेज, रायपुर में विश्व सिकल सेल एनीमिया दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में साय ने कहा है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में देश 2047 तक विकसित भारत का रूप ले लेगा और इसी दौरान भारत से सिकल सेल एनीमिया की बीमारी भी पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी।
साय ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को सिकल सेल की जाँच और परीक्षण आवश्यक रूप से कराना चाहिए और इसकी रोकथाम के लिए सभी को जागरूक होना आवश्यक है l विवाह के पूर्व सभी महिला और पुरुष को सिकलसेल की जाँच करानी चाहिए और दोनों के पीड़ित होने पर शादी नहीं करनी चाहिए ताकि आनुवंशिक रूप से यह बीमारी अगली पीढ़ी मे स्थानांतरित न होने पाए।
साय ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य के 33 जिलों के लक्षित 1 करोड़ 77 लाख 69 हजार 535 सिकल सेल स्क्रीनिंग के विरूद्ध कुल 1 करोड़ 11 लाख 06 हजार 561 स्क्रीनिंग कर लिया गया है l इस परीक्षण में 1 करोड़ 06 लाख 24 हजार 245 स्क्रीनिंग निगेटिव पाए गए है। स्क्रीनिंग में 2 लाख 90 हजार 663 वाहक पाये गये हैं तथा 22 हजार 672 को बीमारी मिली।
इस मौके पर सीएम ने सिकल सेल जागरूकता रथ को रवाना किया और सिकल सेल से संबंधित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने सिकल सेल पीड़ितों को जेनेटिक कार्ड का वितरण किया और बस्तर के दूरस्थ क्षेत्रों में भी जागरूकता फैलाने के लिए सिकल सेल की जानकारी देने वाली हल्बी और गोंडी भाषा की पुस्तिका का विमोचन किया।
आदिम जाति कल्याण मंत्री नेताम ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग और आदिम जाति कल्याण विभाग मिलकर इस बीमारी को खत्म करने की दिशा में काम कर रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने सिकल सेल एनीमिया की रोकथाम में प्रदेश में कार्यरत मितानिन बहनों की अहम भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जेनेटिक कार्ड के इस्तेमाल से इस पर प्रभावी रोकथाम लगाई जा सकती है।
कार्य कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल व वन मंत्री केदार कश्यप, विधायक खुशवंत साहेब, अनुज शर्मा, मोती लाल साहू, पुरंदर मिश्रा, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार पिंगुआ, आदिम जाति कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा समेत उच्चाधिकारी, मितानिन, मेडिकल कालेज के छात्र और स्वास्थ्य कार्यकर्ता उपस्थित थे।