लोकतंत्र बनाम माओवाद विषय पर संगोष्ठी में रखा विचार

रायपुर। बस्तर में हमें बुलेट नहीं बैलेट चाहिए,आईईडी विस्फोटक नहीं एलईडी लाइट की जरूरत है। गनतंत्र नही जनतंत्र चाहिए तभी विकास संभव है। नक्सलवाद क्या है और वे क्या चाहते हैं, कोई तर्क देकर बता दे। बस्तर के किसी गांव में स्कूल, अस्पताल, सड़क, आंगनबाड़ी, बिजली, पानी, मोबाइल के टावर क्यों नहीं पहुंचने चाहिए? बस्तर के दूरस्थ क्षेत्रों से युवा रायपुर आए थे। उन्होंने आज तक टीवी नहीं देखा। सोचो कैसी जिंदगी होगी। बस्तर में यह हो रहा है।
यह बात प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा ने रायपुर के सिविल लाइन स्थित वृंदावन हाल में आयोजित लोकतंत्र बनाम माओवाद विषय पर बस्तर शांति समिति की ओर से आयोजित संगोष्ठी में कही।
कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर में आज अनेक लोग हैं जो अपनी आंखों के सामने अपने कितने दोस्त, कितने परिवारजन कितने लोग खो चुके। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बस्तर से तीन साल में नक्सलवाद को समाप्त करने का संकल्प लिया है। उस दिशा में विष्णुदेव की सरकार आगे बढ़ रही है। मख्यमंत्री का बहुत स्पष्ट सोचना है कि नक्सलवाद को समाप्त करना ही होगा। बस्तर के गांव तक विकास ले जाना ही होगा। नक्सली पर्चा जारी करते हैं कि इसको मार देंगे, उसको मार देंगे और पर्चे में कहते हैं कि कार्पोरेट वाले बस्तर की सारी संपदा को लूट कर ले जायेंगे। मैं पूछना चाहता हूं कि चीन में कार्पोरेट वाले नहीं है क्या? क्या वहां पर भू सम्पदा का दोहन नहीं किया जा रहा है? हमारी सरकार का संकल्प है की बस्तर के विकास के मार्ग पर बिछाकर रखे गए आईईडी दूर होने चाहिए, बस्तर के गांव का विकास होना चाहिए। बस्तर के उन्नति के मार्ग पर, जो भी बाधक हैं उनसे वार्ता करने सरकार तैयार है। अगर कोई मानता नही है तो सख्ती भी की जाएगी।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता लेखक राजीव रंजन ने कहा कि आज लोकतंत्र की अहमियत समझने के साथ माओवाद के दंश को भी जानना होगा। इतिहास बताता है कि वह लाशों पर टिकी रही है। आज की पीढ़ी को माओत्से तुंग की तानाशाही और उसके मानव विरोधी साम्यवादी चरित्र को समझना होगा। दुनिया भर में वियतनाम, चीन, रूस से लेकर भारत तक इस विचारधारा ने करोड़ों लाशें बिछाई है। यह विचारधारा किसी भी क़ीमत में सिर्फ अपनी सत्ता क़ायम रखना चाहती है, इसके लिए प्रकृति, मानवता, लोकतंत्र, संवैधानिक मूल्य मायने नहीं रखता। बस्तर को बस्तर के नजरिए से देखना होगा। उन्होंने कहा चीन ने लोकतंत्र की मांग के लिए हुए आंदोलनों को इतिहास से मिटा दिया। लाखों छात्रों का कत्ल कर दिया गया। भारत में वामपंथी सत्ता परिवर्तन के लिए हिंसा का मार्ग अपनाते हैं। हिंसा इस विचारधारा के मूल में है।
विचार संगोष्ठी में पूर्व मंत्री महेश गागड़ा ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि जब नक्सलवाद के समाधान के विरुद्ध आंदोलन चला था बस्तर में बड़ा आंदोलन हुआ। तब गांव के परिपाटी, पटेल, सरपंच, मुखिया सामाजिक ताना-बाना सांस्कृतिक और पूजा खत्म कर दी गई, पुजारी खत्म कर दिए गए। यह बोलते हुए पूर्व मंत्री महेश गागड़ा भावुक हो गए।
कार्यक्रम में संयोजक एम.डी. ठाकुर, राधेश्याम मरई, विकास मरकाम थे।

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