बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने स्टाफ नर्स सरस्वती साहू द्वारा दायर याचिका पर महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए उनके स्थानांतरण आदेश पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है। याचिकाकर्ता के दो बच्चे, जो पढ़ाई कर रहे हैं, के हितों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने यह आदेश दिया है।
सरस्वती साहू, जो वर्तमान में बालोद जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पीपरछेड़ा में कार्यरत हैं, का स्थानांतरण रायपुर स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल में किया गया था। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति पी.पी. साहू की एकल पीठ द्वारा की गई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संदीप दुबे ने अदालत को सूचित किया कि उनकी मुवक्किल केंद्र की एकमात्र स्टाफ नर्स हैं, और उनके स्थानांतरण के बाद किसी अन्य नर्स की नियुक्ति नहीं की गई है, जिससे स्वास्थ्य केंद्र का संचालन प्रभावित हो रहा है।
राज्य सरकार की ओर से उपस्थित विधि अधिकारी ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को स्वास्थ्य विभाग में उनके अनुरोध पर स्थानांतरित किया गया था, और वे मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी हैं।
अदालत ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि स्थानांतरण के समय कर्मचारियों के बच्चों की शिक्षा को ध्यान में रखना चाहिए, खासकर जब सेवा की तत्काल आवश्यकता नहीं हो। इसके साथ ही न्यायालय ने स्थानांतरण आदेश पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ता को सचिव, स्वास्थ्य सेवाएं के समक्ष 10 दिनों के भीतर नया अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इस बीच, स्थानांतरण आदेश प्रभावी नहीं रहेगा।
याचिकाकर्ता के दो बच्चे स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल, बालोद में कक्षा 10वीं और 6वीं में अध्ययनरत हैं। स्थानांतरण के कारण उनकी शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता था, विशेष रूप से कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा को देखते हुए। अधिवक्ता दुबे ने इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय का हवाला भी दिया, जिसमें शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया गया है।