बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने राज्य के निजी स्कूलों को बड़ी राहत देते हुए कक्षा 5वीं और 8वीं की केंद्रीयकृत परीक्षाओं से अलग कर दिया है। जस्टिस बीडी गुरु की सिंगल बेंच ने यह अहम फैसला छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन और अन्य याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुनाया। इस फैसले के अनुसार, अब स्कूल शिक्षा विभाग निजी स्कूलों में इन कक्षाओं की परीक्षा आयोजित नहीं करेगा। पहले की तरह निजी स्कूल अपने स्तर पर ही परीक्षाएं लेंगे। हालांकि, जो निजी स्कूल स्वेच्छा से केंद्रीयकृत परीक्षा में शामिल होना चाहेंगे, वे ऐसा कर सकते हैं।
दरअसल, शिक्षा विभाग ने 3 दिसंबर 2024 को आदेश जारी कर छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल से मान्यता प्राप्त सभी स्कूलों में कक्षा 5वीं और 8वीं की परीक्षा को बोर्ड पैटर्न पर आयोजित करने के निर्देश दिए थे। इस आदेश का निजी स्कूल प्रबंधकों और अभिभावकों ने विरोध किया और इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी।

निजी स्कूल एसोसिएशन का तर्क था कि वे पहले से ही सीजी समग्र एवं मूल्यांकन पैटर्न के अनुसार छात्रों को पढ़ा रहे हैं और अब तक इन कक्षाओं में स्कूल स्तर पर ही परीक्षाएं आयोजित की जाती थीं। अचानक से केंद्रीयकृत परीक्षा लागू करने से पाठ्यक्रम की असमानता के कारण छात्रों के परिणाम प्रभावित हो सकते थे।
इसी बीच लोक शिक्षण संचालनालय ने केंद्रीयकृत परीक्षा का टाइम टेबल और आदेश जारी कर दिया था, जिसमें सीबीएसई और आईसीएसई स्कूलों को छोड़कर बाकी सभी निजी स्कूलों को परीक्षा में शामिल होना अनिवार्य बताया गया था। इस फैसले के बाद निजी स्कूल प्रबंधकों में असंतोष था, क्योंकि वे सरकारी किताबों की बजाय निजी प्रकाशकों की किताबों से पढ़ाते हैं। ऐसे में सरकारी पाठ्यक्रम के आधार पर तैयार किए गए प्रश्न पत्र से उनके छात्रों को नुकसान होने की आशंका थी।

इस परीक्षा में फेल होने का प्रावधान नहीं है, लेकिन स्कूलों को वही प्रश्न पत्र हल करवाने पड़ते, जिनका पाठ्यक्रम उन्होंने नहीं पढ़ाया। कुछ निजी स्कूलों ने संचालनालय के निर्देशों को मानने से इनकार करते हुए स्वतंत्र रूप से परीक्षा कराने का निर्णय लिया था।
राज्य सरकार ने 2010-11 में कक्षा 5वीं और 8वीं की बोर्ड परीक्षा को समाप्त कर दिया था, लेकिन शैक्षणिक गुणवत्ता में गिरावट को देखते हुए इसे दोबारा लागू करने का निर्णय लिया, साथ ही इसे निजी स्कूलों के लिए बाध्यकारी रखा गया। इस पर निजी स्कूलों का एसोसिएशन हाईकोर्ट पहुंचा था। हाई कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट किया है कि निजी स्कूलों को परीक्षा आयोजित करने की स्वतंत्रता होगी और वे अपनी पद्धति से छात्रों का मूल्यांकन कर सकेंगे।

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