बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की खंडपीठ ने शुक्रवार को बिलासपुर एयरपोर्ट के विस्तार के सबसे बड़े अवरोध, जमीन की उपलब्धता को लेकर अनिश्चितता को समाप्त कर दी है। कोर्ट ने कहा कि रक्षा मंत्रालय द्वारा सेना के कब्जे वाली जमीन पर एयरपोर्ट विस्तार की सहमति एक बार दी जाने के बाद उसे रद्द नहीं किया जा सकता। इस मुद्दे की अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद होगी।

कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार के अधिवक्ताओं को निर्देश दिया कि यदि दोनों सरकारों के बीच कोई आपसी विवाद है, तो उसे जल्द सुलझाएं ताकि व्यापक जनहित से जुड़े इस प्रोजेक्ट में बाधा न आए। इससे पहले याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने कोर्ट को उन आदेशों का हवाला दिया, जिनके अनुसार रक्षा मंत्रालय ने पहले ही एयरपोर्ट विस्तार के लिए जमीन देने की अनुमति दी थी। अब केवल रनवे विस्तार का कार्य होना बाकी है, जिसके लिए 287 एकड़ जमीन आवश्यक है।

हाईकोर्ट ने यह भी पाया कि पिछले 12 सालों से 1012 एकड़ की यह जमीन खाली पड़ी है और इसमें से 287 एकड़ जमीन रनवे विस्तार के लिए निर्धारित की गई है। इस विस्तार से रनवे की लंबाई 1500 मीटर से बढ़कर 2885 मीटर हो जाएगी, जिससे बड़े विमान जैसे बोइंग और एयरबस यहां उतर सकेंगे। इसके साथ ही बिलासपुर एयरपोर्ट को 4C IFR का दर्जा मिलेगा।

कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश दिया है कि एयरपोर्ट विस्तार के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी अगली सुनवाई से पहले पेश करें।

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने एयरपोर्ट पर चल रहे नाइट लैंडिंग कार्यों की भी समीक्षा की और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) को निर्देश दिया कि नाइट लैंडिंग के लिए आवश्यक DVOR मशीन की स्थिति से अवगत कराएं। याचिकाकर्ताओं और राज्य सरकार ने इस प्रक्रिया में देरी को लेकर आपत्ति जताई थी और इसे शीघ्र पूरा करने का निवेदन किया था। कोर्ट ने AAI को DVOR मशीन के आयात के लिए प्राथमिकता के आधार पर बिलासपुर को एक मशीन प्रदान करने की संभावनाएं तलाशने का निर्देश दिया।

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